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भूपेंद्र हुड्डा  का बीजेपी से प्यार,हरियाणा में आम आदमी पार्टी की हुई “मौज ही मौज “

भूपेंद्र हुड्डा  का बीजेपी से प्यार,हरियाणा में  आम आदमी पार्टी की हुई “मौज ही मौज “पीछे   बीजेपी-जेजेपी गठबंधन भी नहीं

 चंडीगढ़(Atal Hind) हरियाणा की सियासत में अंतरात्मा का मुद्दा पिछले 2 दिन से गरमाया हुआ है।
कल कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि वे राज्यसभा चुनाव में अंतरात्मा की आवाज पर वोट देंगे और कांग्रेस के बाकी विधायकों को भी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट देना चाहिए।

इसके जवाब में आज पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जिनकी अंतरात्मा कांग्रेस के साथ नहीं है उन्हें पार्टी में रहने का “अधिकार” नहीं।

इसका पलटवार करते हुए कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि जिनके “हाथ” स्याही कांड से रंगे हुए हैं उन्हें कांग्रेस की बात करना “शोभा” नहीं देता। जो जी- 23 के जरिए कांग्रेस को “तोड़ने” का प्रयास कर रहे हैं उन्हें अंतरात्मा की बात नहीं करनी चाहिए।

इन सब बातों के कारण जहां कांग्रेस में उथल-पुथल मची हुई है वहीं दूसरी तरफ भूपेंद्र हुड्डा की खुद की अंतरात्मा का विश्लेषण करना भी बेहद जरूरी हो गया है।

भूपेंद्र हुड्डा की अंतरात्मा का गहराई से विश्लेषण करने के बाद यह यह कड़वी सच्चाई उभर कर सामने आई कि उनकी अंतरात्मा के कारण एक तरफ जहां कांग्रेस का बंटाधार हो गया है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी, जेजेपी और आम आदमी पार्टी की “मौज” हो गई है।

पिछले 8 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी और ढाई साल से सत्ता की भागीदार जेजेपी के खिलाफ भूपेंद्र हुड्डा ने यह दावा किया था कि प्रदेश की जनता गठबंधन सरकार के खिलाफ हो चुकी है और आने वाले समय में कांग्रेस की बंपर बहुमत की सरकार बनेगी।

भूपेंद्र हुड्डा के पास अपनी इस बात को सही साबित करने का स्थानीय निकाय चुनाव में “परफेक्ट” अवसर था। लेकिन भूपेंद्र हुड्डा ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाने के बजाय दूसरी जगह “गिरवी” रखी जा चुकी अपनी अंतरात्मा के कारण कांग्रेस का “बड़ा” नुकसान कर दिया।

“बड़ी” ताकत के प्रेशर में भूपेंद्र हुड्डा की अंतरात्मा ने कांग्रेस को स्थानीय निकाय चुनाव के दंगल से बाहर कर दिया जिसके कारण आम आदमी पार्टी को जहां बीजेपी-जेजेपी विरोधी वोटरों को झाड़ू के चुनाव चिन्ह पर गोलबंदी करने का “गोल्डन” चांस दे दिया है वहीं बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को भी एकजुट होकर अपने ताकत को “साबित” करने की का प्लेटफार्म दे दिया है।

भूपेंद्र हुड्डा की “हठधर्मिता” के कारण ही कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनाव में नहीं उतरी। अगर कांग्रेस चुनाव में उतर जाती और सरकार विरोधी माहौल का “फायदा” उठाती तो आने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस के पक्ष में “अभी” से माहौल बन जाता लेकिन भूपेंद्र हुड्डा की अंतरात्मा को यह “गवारा” नहीं था। इसलिए उन्होंने निकाय चुनाव से कांग्रेस को पीछे “हटा” दिया।

बात यह है कि अंतरात्मा की बात करने वाले भूपेंद्र हुड्डा की खुद की अंतरात्मा पिछले 16 साल के दौरान जहां पूरी तरह कांग्रेस की “विरोधी” रही है वहीं खुद के परिवार के शुभचिंतक रही है।

2005 में सीएम बनने के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने कभी भी कांग्रेस की “मजबूती” के लिए काम नहीं किया बल्कि सिर्फ और सिर्फ अपनी मजबूती के लिए पहले सत्ता का दुरुपयोग किया और उसके बाद प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए कांग्रेस के संगठन का “बंटाधार” कर दिया।

भूपेंद्र हुड्डा के कारण ही पिछले 8 साल से कांग्रेस का संगठन नहीं बन पाया है। अशोक तंवर और कुमारी शैलजा की बलि लेने के बाद भूपेंद्र हुड्डा बेशक उदय भान के रूप में “कठपुतली” अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस के सर्वेसर्वा बन गए हैं लेकिन इसका भी कांग्रेस को “भारी” नुकसान हुआ है।

अगर उदय भान की जगह कुलदीप बिश्नोई प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाते तो आज स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस बीजेपी- जेजेपी गठबंधन और आम आदमी पार्टी को “ललकारते” हुए नजर आती।

आज जनता का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस के छोटे-बड़े सभी नेता और वर्कर फील्ड में सक्रिय नजर आते।

आज स्थानीय निकाय चुनाव के नामांकन के अंतिम दिन जहां बीजेपी- जेजेपी गठबंधन और आम आदमी पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता अपने प्रत्याशियों के समर्थन में “लामबंद” थे वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता “मायूस” होकर घरों में बैठने को “मजबूर” थे।

भूपेंद्र हुड्डा के कारण कांग्रेस जहां चुनाव संग्राम से दूर “तमाशा” बनने को मजबूर हो गई वहीं कांग्रेस के विधायकों को भी निष्ठा पर सवालिया निशान लगाकर रायपुर में घेराबंदी में बिठा दिया गया है।

यह हकीकत है कि भूपेंद्र हुड्डा की खुद की अंतरात्मा बीजेपी के पास गिरवी रखी जा चुकी है और पिछले 8 साल के दौरान भूपेंद्र हुड्डा ने वही किया है जो बीजेपी ने चाहा है।

आज अंतरात्मा की बात करने वाले भूपेंद्र हुड्डा ने हाईकमान के फैसले के खिलाफ जाते हुए 6 साल पहले राज्यसभा चुनाव में सुभाष चंद्रा को जिताने के लिए स्याही कांड के षड्यंत्र में “भागीदारी” की थी। भूपेंद्र हुड्डा ने बैलट पेपर खाली छोड़कर कांग्रेस की आत्मा का गला “घोंटने” का काम किया।


अगर भूपेंद्र हुड्डा की अंतरात्मा की गलतियों की सूची बनाई जाए तो कई पन्ने भर जाएंगे। आज की तारीख में यही हकीकत है कि भूपेंद्र हुड्डा की अंतरात्मा “गिरवी” रखी जा चुकी है और उनके कारण ही आने वाले चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से एक बार “बेदखल” रहना पड़ सकता है।

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