सत्ता का संग्राम
साथ चलने वाली भीड़ को वोट में बदलना सबसे बड़ी चुनौती
बड़ी पॉलीटिकल पार्टी भाजपा और कांग्रेस के बीच आजाद उम्मीदवार
मतदान के लिए अभी भी 8 दिन का लंबा समय बाकी बचा हुआ
भाजपा और कांग्रेस किसी का सामने नहीं आया संकल्प या घोषणा पत्र
संडे को छुट्टी के दिन सभी उम्मीदवारों के साथ दिखाई दी भीड़ ही भीड़
फतह सिंह उजाला
पटौदी । सत्ता के संघर्ष में सबसे अधिक रोचक मुकाबला और चुनाव पटौदी विधानसभा क्षेत्र में ही नगर निगम मानेसर तथा नवगठित पटौदी जाटोली मंडी नगर परिषद को लेकर बना हुआ है। मौजूदा समय में मशीन का बटन दबाए जाने तक मतदाता अपने मन की बात का खुलासा नहीं करता। इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान समर्थकों का हुजूम और लोगों की भीड़ को ही देखकर अपनी अपनी जीत के दावे ठोके जाते हैं । मतगणना होने के बाद ही हकीकत सामने होती है और उसके बाद आरोप प्रत्यारोप के बीच विश्लेषण का सिलसिला आरंभ हो जाता है।
पिछली दो योजना में भाजपा की डबल इंजन सरकार को चुनौती देती आ रही कांग्रेस पार्टी शहरी सरकार बनाने के लिए भाजपा को चुनौती देती आ रही है। जो भी परिणाम रहे, वह सभी के सामने है। भाजपा का संगठन और इसके कार्यकर्ताओं सहित पदाधिकारी को मतदान केंद्र तक की जिम्मेदारी देकर जवाब देही निश्चित की जाती है। कांग्रेस पार्टी में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देता है। इसका मुख्य कारण संगठन और संगठन पदाधिकारी की कमी को ही माना जाता है।
लोकसभा चुनाव से लेकर मौजूदा जिला परिषद चुनाव तक नजर डाली जाए तो मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही दिखाई दे रहा है। भाजपा से अधिक चुनौती कांग्रेस के सामने है। यह चुनौती कांग्रेस उम्मीदवार के साथ चलने वाले समर्थकों और प्रचार के दौरान उमड़ रही भीड़ को वोट में बदलने की है। लोकसभा चुनाव में दक्षिणी हरियाणा के कद्दावत नेता राव इंद्रजीत सिंह के मुकाबले पूर्व सांसद वरिष्ठ कांग्रेस नेता राज बब्बर को भेजा गया। राज बब्बर के नुक्कड़ सभा से लेकर बड़ी रैली अथवा जनसभा में अपार जन समूह और अनगिनत लोगों की भीड़ देखने के लिए मिली। इस भीड़ को देखकर भाजपा खेमे में भी खलबली महसूस की जाने लगी। उस समय भी इशारा किया गया कांग्रेस और कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर के सामने आने वाली भीड़ को वोट में बदलना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है । चुनाव परिणाम जो भी रहा सभी के सामने है।
कुछ ही महीने पहले विधानसभा चुनाव को लेकर ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं। कांग्रेस टिकट के लिए 42 दावेदार विधायक बनने की दौड़ में सभी के सामने दिखाई दिए । टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर नामांकन किया गया और फिर नामांकन वापस भी लिया गया । कांग्रेस पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवार के पक्ष में जबरदस्त लहर और भीड़ हर कार्यक्रम में दिखाई दी। विभिन्न स्तर पर विभिन्न एजेंसियों सहित पॉलिटिकल पार्टियों के द्वारा भी पहले से ही चुनाव परिणाम का ठोस अनुमान लगा लिया गया। लेकिन चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में ना आकर सत्ताधारी भाजपा के ही पक्ष में गया। इसका निचोड़ और निष्कर्ष यही निकला, कांग्रेस और कांग्रेस उम्मीदवार के सामने आने वाली भीड़ को वोट में नहीं बदला जा सका। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में नाकाम रहने के बाद अब कांग्रेस के सामने एक बार फिर से पुरानी चुनौती ही नए अंदाज में दिखाई दे रही है । दोनों ही पार्टियों का अपना-अपना परंपरागत वोट सहित समर्थक मौजूद है। अभी तो मतदान होने में एक सप्ताह का समय बचा हुआ है। भाजपा के द्वारा अपनी चुनाव प्रचार और चुनाव प्रचार के लिए आने वाले नेताओं की रणनीति का खुलासा भी नहीं किया गया । यही बात भाजपा के लिए भी कहीं जा सकती है।
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक गढ़ पटौदी में पटौदी जाटोली मंडी नगर परिषद के लिए भाजपा के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने अभी अपने पूरे पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि लोगों में यह चर्चा है कि भाजपा का उम्मीदवार एकदम से नया चेहरा है । आसपास के गांव में तथा अपने ही पुराना हेली मंडी पालिका क्षेत्र और पुराना पटौदी पालिका क्षेत्र में फेस वैल्यू नहीं है। भाजपा उम्मीदवार की पहचान है तो केवल भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल का फूल ही है। संडे को हरियाणा के सीएम नायब सैनी पटौदी क्षेत्र को छोड़कर मानेसर और गुरुग्राम में भाजपा के पक्ष में अपना दौरा के लिए पहुंचे। सीएम सैनी का यही आगमन पटौदी जाटोली मंडी क्षेत्र में भी भाजपा और भाजपा कार्यकर्ताओं सहित पदाधिकारी के लिए एक एनर्जी टॉनिक से काम नहीं साबित होगा। इसी प्रकार के टॉनिक की जरूरत कांग्रेस और कांग्रेस के उम्मीदवार को भी है । कुल मिलाकर यह बात कहने में कोई संकोच नहीं है कि भीड़ को वोट में बदलना 2 मार्च तक सबसे बड़ी चुनौती ही साबित होगा। यहां इस बात को भी बिल्कुल अनदेखा नहीं किया जा सकता की पटौदी के ही पूर्व विधायक रामवीर सिंह तथा आरएसएस पृष्ठभूमि के सुनील दोचनियां सहित अन्य उम्मीदवार भी जो वोट बटोरेगे। वह वोट निश्चित रूप से भाजपा और कांग्रेस के ही हिस्से का वोट होगा । इसके बाद 12 मार्च को चुनाव परिणाम से स्पष्ट होगा भाजपा या फिर कांग्रेस किसकी रणनीति मतदाता को अपने पक्ष में लाने में अधिक सफल रही।
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