नरेंद्र मोदी जी और मनोहर लाल खट्टर जी आप तो किस्मत के धनी है, जनता बेचारी किसके दरवाजे पर जाए?
नगर निकाय के चुनाव के नतीजे ये बता रहे है कि BJP की सबसे भयानक हार करनाल में हुई है
(हरियाणा में हर नेता और हर अफसर का ध्यान सिर्फ एक बात पर है कि कौन सा प्रोजेक्ट बनाया जाये जिसमें करोड़ो रुपये खर्च किये जा सके? किसी का ध्यान उस प्रोजेक्ट की मेनटेनेंस या रखरखाव की तरफ नहीं होता। बस रिबन कटवाया और नारियल तुड़वाया और करोड़ो रूपये स्वाहा। बाद में वो चाहे उजड़ भी न जाये उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं। स्मार्ट सिटी के नाम पर कितना ही पैसा बर्बाद किया गया।)
दोस्तो, याद कीजिये वर्ष 2014 जब हम सभी में बहुत उत्साह था, विश्वास था कि देश में मोदी जी प्रधानमंत्री बनने वाले है और अच्छे दिन आने वाले है। उस समय कांग्रेस का घमंड और उनके नेताओ का भ्रष्टाचार चरम पर था।
कैमरो पर कांग्रेसियों के अतिउत्साही और घमंडी बयान ऐसे होते थे कि मेरे जैसा शख्स ये चाहता था कि कांग्रेस कभी सत्ता में ही न लौटे। कांग्रेस मुक्त अभियान की बात जब टीवी पर सुनता था तो मन मे लड्डू फूटते थे कि काश ऐसा हो जाये। मैं तालियां मारता था और ठहाके लगाता था कि घमंड में चूर कांग्रेस का तोड़ मोदी जी निकालेंगे।
दोस्तो, वर्ष 2009 से नरेंद्र मोदी मेरे फेवरेट नेता रहे थे क्योंकि उस समय मुझे गुजरात के दौरे पर जाने का मौका मिला था।
हालांकि उस समय ऐसी कोई चर्चा नहीं थी कि नरेंद्र मोदी कभी प्रधानमंत्री बनेंगे लेकिन एक सीएम के तौर पर मैं उनके कार्य और गुजरात की स्थिति देखकर काफी प्रभावित था। जो दोस्त मुझे तब से जानते है उन्हें पता होगा कि मैं उस समय उनकी बहुत तारीफ करता था।
समय बढ़ता गया और 2013 में जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी का नाम NDA के प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में आगे बढ़ाया तो BJP के बहुत सारे नेता नाराज हुए और इसकी आलोचना भी हुई कि कई बड़े नेताओं को नजरअंदाज करके मोदी जी को प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार क्यों बनाया गया लेकिन मैं उनका फैन था इसलिए मुझे इस निर्णय से काफी सुकून था। मैं मन से चाहता था कि मोदी बस किसी भी तरह प्रधानमंत्री बन जाएं ताकि कांग्रेस का अहंकार टूट सके।
जैसे जैसे वक़्त बढ़ता गया मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ होता गया और 2014 के चुनाव में मैं खुद उन लोगो में शामिल था जो मोदी जी को वोट दिलवाना चाह रहे थे। मेरी तरह लोगो ने इस बात को तवज्जो नहीं दी कि BJP की तरफ से सांसद पद के लिए कौन सा उम्मीदवार सामने है। सभी ने सिर्फ कमल के निशान पर मोदी सरकार बनाने के लिए वोट दिया जिनमें मैं भी शामिल था। मुझे याद है जब मैं किताबों में पढ़ता था कि ऐसी आंधी और ऐसा तूफान कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में भी आया था।
खैर, 2014 में देश को एक उम्मीद बंधी और केंद्र में मोदी सरकार बन गई और लोगो को एक उम्मीद बन्ध गई कि बस अब देश मे बड़ा बदलाव होने वाला है। शपथ मोदी जी ले रहे थे और आत्मविश्वास एक आम भारतीय का बढ़ रहा था। लोग सोच रहे थे कि बस जल्दी ही हम अमरीका, कनाडा, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया जैसा देश बनने ही वाले है। अब एक क्रांतिकारी बदलाव होगा और एक झटके में देश में सब बदल जायेगा।
उस समय के वायदे ही ऐसे थे कि लोग भावुक होकर दिन रात, सुबह-शाम सिर्फ मोदी ही मोदी कहते थे। ये भावना ऐसे ही नहीं आई बल्कि चुनाव के समय में नरेंद्र मोदी जी की करारी आवाज के उन भाषणों से जाग्रत हुई जब लोग हाथ उठा उठा कर मोदी जी के पीछे पीछे कहते थे कि अच्छे दिन आने वाले है, महंगाई जाने वाली है। पेट्रोल-डीजल-गैस सब सस्ता हो जाएगा। टैक्स में जनता को छूट मिलेगी। जनता को किसी भी तरीके से मोदी जी 2 करोड़ रोजगार हर साल देंगे।
किसी ने ये नहीं सोचा कि ये सब कैसे होगा, कोई सोचता भी क्यों? सबको लगता था ये सब मोदी जी ने सोच रखा है तभी तो वो बोल रहे है कि अच्छे दिन आने वाले है। सबको लगता था कि मोदी जी के पास कुछ तो ऐसा प्लान होगा तभी अच्छे दिन आने वाले है कि आवाज आ रही है। वो कहते थे काला धन देश मे आएगा, हर भृष्ट नेता और अफसर जेल की सलाखों के पीछे होगा इसलिए लोग चाहते थे कि किसी भी कीमत पर मोदी जी की सरकार बनवानी ही बनवानी है।
और एक दिन वही हुआ। केंद्र में मोदी जी की सरकार बहुमत से बनी और कांग्रेस की करारी हार हुई। मैं निजी तौर पर बहुत खुश था, ऐसे लगा मानो दिल के अरमान और सपने पूरे हो गए हो।
2014 में फिर हरियाणा के चुनाव आया।
फिर मोदी जी ने आह्वान किया कि डबल विकास के लिए डबल इंजन की सरकार चाहिए। उस समय भी जिस किसी को BJP का टिकट मिला वो मोदी जी के नाम पर उस आंधी में चुनाव जीत गया जो बहुत तेजी से चल रही थी। मनोहर लाल खट्टर साहब को हरियाणा का सीएम बताया जाने लगा। कहा गया कि उन जैसा ईमानदार आदमी आज तक राजनीति में नहीं आया होगा।
लोगो ने भी विश्वास किया और हरियाणा में भी जनता ने सरकार बनाने के लिए बम्पर वोटिंग की। जनता ने BJP, मोदी और खट्टर साहब पर अंधे होकर विश्वास किया। नतीजे आये तो BJP सत्ता में थी और मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के सीएम बन गए।
डबल इंजन की सरकार बनाने के लिए जनता की ललक बस एक ही थी कि बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्र्ष्टाचार से निजात मिले। लोगो को चलने के लिए अच्छी सड़कें, साफ पानी, गली मोहल्ले में सफाई और बच्चो को बेहतर शिक्षा मिले। स्कूल और अस्पतालो कि लूट से लोगो को छुटकारा मिले। चुनाव खत्म हुई और हरियाणा में भी BJP सरकार अपने बलबूते बन गई।
केंद्र और हरियाणा में BJP सरकार बनने के बाद लोग इंतजार करने लगे कि कांग्रेस का हर भ्रष्ट नेता, मंत्री, विधायक और उनकी सरकार के अफसर जेल जाएंगे। प्रदेश और देश मे विकास की गंगा नहीं बल्कि दरिया बहेगा।
उस समय लोग BJP नेताओं पर ऐसे विश्वास करने लगे थे जैसे मानो वो नेता इस देश के नहीं किसी और ग्रह से आएंगे। हमें लगता था कि ऐसा हो ही नहीं सकता कि मोदी जी के सिपाही भ्र्ष्टाचार कर जाएं क्योंकि हमें याद था वो नारा जिसमें मोदी जी ने कहा था कि ना खाऊंगा और न खाने दूंगा।
मुझे ये लिखते हुए बहुत दुख हो रहा है कि धीरे धीरे लोगों के सपने और उम्मीदें टूटने लगीं। सीएम मनोहर लाल साहब की ईमानदारी अपनी जगह है लेकिन उनकी ईमानदार की कसम खाकर कोई पटवारी किसी का इंतकाल तक चढ़ाने को तैयार नहीं है। भ्र्ष्टाचार हरियाणा में अपने सर्वोच्च शिखर पर है। ईमानदारी और भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन को लेकर लोग जैसा चाहते थे वैसा कुछ नहीं हो पाया।
सरकार का सारा ध्यान जनता से टैक्स पूरी तरह कैसे वसूला जाए इस तरफ लग गया। जिस जिस जगह टैक्स नहीं था वहां भी टैक्स लगाया जाने लगा। आज महंगाई आज अपने सर्वोच्च शिखर पर है। भ्र्ष्टाचार पर कोई BJP नेता बात करने को तैयार नहीं है।
पेट्रोल-डीजल और गैस ने आम आदमी को तोड़ कर रख दिया है। इससे भी निराशाजनक ये है कि इन मुद्दों को सही तरीके से उठाने में विपक्ष पूरी तरह विफल या यूं कहें कि फेल रहा है। ऐसे लग रहा है जैसे फ्रेंडली मैच चल रहा है कि मैं तुम्हे बचाऊंगा और तुम मुझे बचाना। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, इन्होंने जितने भी बड़े रिफार्म करने की कोशिश की या उन सभी में बड़े स्तर पर सुधार किए उन सभी मे होमवर्क ठीक नहीं किया गया।
हरियाणा सरकार तो आज तक ऐसे कई नोटिफिकेशन है जारी करके वापिस ले चुकी है। वहीं चाहे हम नोटबन्दी की बात कर लें, GST की बात कर लें, अग्निपथ स्कीम, किसान बिल की बात कर लें, कोरोना काल की बात कर लें सभी में विरोध के बाद अनगिनत बार सुधार किए गए लेकिन तब तक लोगो को उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी क्योंकि सभी में जैसी तैयारी होनी चाहिए थी वो नहीं हुई।
वहीं अगर हरियाणा सरकार की बात कर लें तो इनका जो भी प्रोजेक्ट राज्यस्तर या जिलास्तर पर प्रोपोज होता है उसकी कीमत कई गुणा ज्यादा रखी जा रही है। आम जनता को देखकर पता लग जाता है कि ये प्रोजेक्ट महंगा है लेकिन सरकार बेशर्मी के साथ जनता का पैसा लूटने में लगी है। सीएम, मंत्री, सांसद या विधायक भी रिबन काटते वक़्त ये नहीं पूछते कि इतना महंगा प्रोजेक्ट क्यों है? इसमें इतना पैसा कैसे लगा? जबकि वहां मौजूद हर शख्स जानता है कि उद्घाटन जिस चीज का हो रहा है उसमें इतना पैसा नहीं लगा होगा।
हरियाणा में हर नेता और हर अफसर का ध्यान सिर्फ एक बात पर है कि कौन सा प्रोजेक्ट बनाया जाये जिसमें करोड़ो रुपये खर्च किये जा सके? किसी का ध्यान उस प्रोजेक्ट की मेनटेनेंस या रखरखाव की तरफ नहीं होता। बस रिबन कटवाया और नारियल तुड़वाया और करोड़ो रूपये स्वाहा। बाद में वो चाहे उजड़ भी न जाये उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं। स्मार्ट सिटी के नाम पर कितना ही पैसा बर्बाद किया गया।
सांझी साईकल योजना, स्मार्ट बस सर्विस, स्मार्ट बस क्यू शेल्टर, जगह जगह करोड़ो रूपये से गेट बनाना, 160 करोड़ के कैमरे और लाल बत्तियां लगाना, नहर किनारे लाखो की जगह 5-6 करोड़ से सैर करने के लिए जगह बनाना, कर्णताल पार्क को सुंदर बनाने के लिए 6 करोड़ खर्च करना, जगह जगह सिर्फ टाइल और ब्लॉक लगाना, हर जगह ढूस ढूस कर टाइल तो ऐसे लगा दी मानो करनाल शहर का नाम ही टाइल के नाम से रखा जाना है। सड़के रात को बनी और सुबह उखड़ गई ऐसी कितनी ही खबरें मैंने आपको अक्सर दिखाई है।
रेत में ईंट लगाकर पार्क बनाये गए, फूल, पेड़ पौधे लगाने के नाम पर लाखों रुपये खर्च हुए लेकिन उनके रखरखाव न होने की वजह से वो खत्म हो गए। सफाई के नाम पर निगम करोड़ो खर्च करता है लेकिन सफाई का आलम क्या है ये सबको पता है। बनी हुई सड़के बनाने के लिए सड़के उखड़ी गई और कई कई साल तक उनका निर्माण ही नहीं हुआ क्योंकि नक्शे गलत बन गए थे, एस्टीमेट गलत बन गया।
आपको माल रोड, कल्पना चावला मेडिकल कालेज वाला रोड, NDRI रोड, ज्वेल्स होटल वाला रोड, कैथल रोड, इंद्री रोड, मूनक रोड याद करने चाहिए जहां सैंकड़ो लोगो ने लेट लतीफी हुए इन प्रोजेक्ट पर अपनी जान दी और हजारो इन सड़कों पर घायल हुए।
अब स्थिति ऐसी है कि लोगो को अनदेखा और अनसुना किया जा रहा है। लोग बेचारे बोलते रहते है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं है। गरीब दफ्तरों के चक्कर काटता रहता है लेकिन उनकी न तो सुनवाई है और न ही वो बेचारा किसी के पास जाकर अपना दुखड़ा रो सकता है।
दोस्तो, यहां मैं ऐसा बिल्कुल नहीं कहना चाहता कि सरकार ने कुछ अच्छा नहीं किया लेकिन जितना अच्छा किया उससे ज्यादा इतना बुरा कर चुकी है कि अच्छा दिखाई देना ही बंद हो गया है। हाल ही में नगर निकाय के चुनाव के नतीजे ये बता रहे है कि BJP की सबसे भयानक हार करनाल में हुई है। BJP नेताओ ने इस बार जीत वाले पोस्टर फेसबुक पर भी नहीं डाले क्योंकि पता था कि जनता नीचे कमेंट करके बुरा हाल कर देगी।
अभी केंद्र सरकार के चुनाव में 2 साल से कम का वक़्त है और हरियाणा के चुनाव में अभी 2.5 साल से कम का वक़्त है। उससे पहले नगर निगम के चुनाव होने है। अभी भी वक़्त है जनता की नब्ज टटोलिये ताकि स्थिति को संभाला जा सके।
इस देश में इंदिरा गांधी की ऐतेहासिक जीत का इतिहास दर्ज है तो इंदिरा गांधी जब बुरे तरीके से हारी थी उसे भी हमें याद रखना चाहिए। कोई कुर्सी सदैव किसी के साथ बंधी हुई नहीं है क्योंकि कुर्सी पर कौन बैठेगा इसका चुनाव जनता ने करना है नेता ने नहीं।
एक पत्रकार के तौर पर मैंने समय समय पर जनता की आवाज को उठाया है लेकिन उस आवाज को ज्यादातर बार नजरअंदाज किया गया जिसका मुझे रत्ती भर भी अफसोस नहीं है क्योंकि मेरा काम जनता की आवाज को बुलंद करना है और सरकार का काम उस आवाज को जनता की आवाज समझकर उस पर तुरंत काम करना है।
ये याद रखियेगा कि 2014 में लोग जितनी शिद्दत से BJP सरकार को लाना चाहते थे आज वही लोग चुनाव का इंतजार कर रहे है। मेरी खबर और पोस्ट पर ये समझने वाले कि मैं BJP का विरोधी और दूसरी राजनीतिक पार्टियों का दोस्त या समर्थक हूं अपनी सोच को जितना जल्दी बदल लें उतना बेहतर रहेगा क्योंकि पत्रकार तो गलत काम पर आलोचना करेगा ही चाहे सरकार किसी की भी हो।
2014 से पहले मुझे कांग्रेसी पसंद नहीं करते थे और आज BJP में वही स्थिति है। मेरी असलियत देखने के लिए BJP को विपक्ष में आना पड़ेगा क्योंकि तब मैं उस पार्टी की आंखों में चुभूंगा जिसकी सत्ता होगी और BJP नेता तब समझेंगे कि मैं 10 साल क्या करने की कोशिश कर रहा था लेकिन तब तक देर हो चुकी होगी।
BJP के बड़े नेता ये समझ लें कि जिस जनता के आपने वोट लिये है और जिन अफसरों के बलबूते आप उछल रहे है वो कभी किसी के नहीं होते। वक़्त बदलता है तो वो भी बदल जाते है। कभी सत्ता के लिए बैसाखियों का सहारा लेने वाली BJP के लिए ये सुनहरा वक़्त था जिसे वो लगातार खोते जा रहें है। BJP के नेता सब कुछ देखकर और जानकर भी मूर्ति की तरह बेजान और निर्जीव बने हुए है क्योंकि वो नहीं चाहते कि उनके पद पर कोई आंच जाए।
मेरी उनसे हाथ जोड़कर अपनी है कि जनता के करोड़ो रूपये स्वाहा मत होने दीजिए। ये नामुमकिन नहीं है, आप ऐसा करने में सक्षम हैं। जनता के बेदर्दी से लुटने वाले ये पैसे कभी वापिस नहीं आएंगे। 10 रुपये के काम को 50 रुपये में मत होने दीजिए।
आवाज उठाएं, विरोध करें ताकि गरीब जनता के टैक्स के पैसे को बचाया जा सके। करनाल में बेतुके प्रोजेक्ट पर पैसा बर्बाद मत कीजिये। आज जो CBI, ED और इंकम टैक्स कांग्रेस या अन्य पार्टियों के नेताओं के साथ कर रहे है, सरकार बदलने के बाद ये सब आपके साथ होना निश्चित है।
आज नहीं तो कल असलियत सबके सामने आनी ही है इसलिए वक़्त रहते सम्भल जाएं। पत्रकार हूं क्या करूं बिना बोले और बिना लिखे रह नहीं पाता।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार आकर्षण उप्पल की फेसबुक वॉल से )
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