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मध्य प्रदेश

जान जोखिम में डाल बसों में  लटक्कर यात्रा कर रहे छात्र-छात्राएं और आम लोग

जान जोखिम में डाल बसों में  लटक्कर यात्रा कर रहे छात्र-छात्राएं और आम लोग
– बस संचालक द्वारा संचालन के नियमो का नही किया जा रहा पालन
निर्णय तिवारी

छतरपुर। लवकुशनगर सहित क्षेत्र में इन दिनों आम लोगों और छात्र-छात्राओं को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ रहा है। यहां पर खराब सड़कें और बसों में लटकतीं सवारियों को गुजरने वाले अधिकारी व पुलिस देखकर भी अनदेखा कर रही है। जिससे कभी भी बडा हादसा होने का डर बना रहता है। हालात हैं कि बस संचालकों द्वारा किसी भी नियम और कायदों का पालन नहीं किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग ने बस चालकों के लिए नियम तो कई बनाए हैं, लेकिन उनका पालन नहीं कराया जा रहा है। बस में किराया सूची चस्पा होने की वजह से यात्रियों को मुंह मांगा किराया देना पड़ रहा है। हाईवे सहित ग्रामीण रूटों पर प्राइवेट बस संचालकों द्वारा मनमाना किराया वसूलने के बावजूद यात्रियों को कष्टमय सफर करना पड़ रहा है। सवारियों से ऊपर नीचे ठसाठस भरकर कई अनफिट बसें सड़क पर दौड़ रही हैं। कई बार खटारा बसें मंजिल पर पहुंचने के बजाय रास्ते में ही खराब हो जाती हैं और यात्रियों को बाकी सफर पैदल या अन्य साधन तलाशने पड़ते हैं। लवकुशनगर क्षेत्र में लम्बे समय से बस संचालकों की मनमानी चल रही है और वह बसों में न तो किराया सूचि चस्पा किए हैं, न ही परमिट आदि जानकारी सहित कोई भी जानकारी बस में नहीं चस्पा की गई। वहीं चालक व परिचालक को ड्रेस आदि भी नही दी जा रही है। इसके साथ ही खराब सड़कों में भी छमता से दो गुनी सवारियों को भरकर फर्राटा भर रहे हैं। इस तरह की मनमानी किसी एक दो बसों में नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सलचे वालीं सभी बसों की हालात हैं और इस सब को देखकर भी प्रशासन और सम्बंधित अधिकारी इसको लेकर कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं। लवकुशनगर से बिलहरी मार्ग में चलने वाली बस क्रमांक एमपी 53 पी 0640 में 34 सवारियों की छमता है लेकिन प्रतिदिन 70 से अधिक सवारियों को लेकर यात्रा की जा रही है। इसमें लोगों को और छात्र-छात्राओं को भूसा की तरह भरा जा रहा है। साथ ही मनमाना किया या वसूला जा रहा है। वहीं इस बस के मालिक राजेश पाठक का कहना है कि वह बस में छमता से अधिक सवारियों नहीं बैठाऐंगे तो बस का खर्च नहीं निकल रहा है, ऐसे में उन्हें मजबूरन नियमों ेकी अनदेखी करना पड़ती है। बस में बैठे छात्र उमेश, मनोज, राजकुमार आदि ने बताया कि आलम यह है कि बस चालक और परिचालक बिना यूनिफार्म के ही बसों का संचालन कर रहे हैं। यात्रियों को जानकारी के लिए बस में किराया सूची भी चस्पा नहीं की गई है। कई बसों में तो पुरानी किराया सूची लगी हुई है। बस में किराए को लेकर यात्रियों व कंडेक्टर के बीच विवाद की स्थिति बन जाती है। बसों में प्राथमिक चिकित्सा के लिए फस्र्ट एड बॉक्स भी नहीं है।

बसों में नहीं इमरजेंसी विंडो
जिले में बीते वर्षों में हुए बस में भीषण बस हादसों के बाद भी बसों में सुरक्षा इंतजाम को लेकर इंतजाम नहीं हैं। बस में दो गेट व एक इमरजेंसी विंडो लगाने के लिए बस ऑपरेटरों को निर्देशित किया था। ग्रामीण क्षेत्र में विभिन्न रूटों पर चलाई जा रही बसों में दो गेट तो हैं, लेकिन बस ऑपरेटरों ने आपातकालीन द्वार व इमरजेंसी विंडो नहीं लगवाई है। सिर्फ इतना ही नहीं बस के पीछे छत पर चढऩे के लिए लोहे की सीढ़ी और जाल भी नहीं हटाए गए है। ऐसे में किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर जनहानि की आशंका हमेश बनी रहती है।
इनका कहना है
हमारे द्वारा लगातार ऐसी बसों ओर ओबर्लोड वाहनों पर नज़र रखी जा रही हैं, बीते समय में कई कार्रवाईयों ऐसे मामलों में की हैं। इसको लेकर आगे सजगता से अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। बस संचालकों को नियमों की अनदेखी कतई बर्दास्त नही की जाएगी।
विक्रमजीत सिंह कंग, आरटीओ, छतरपुर
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