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चण्डीगढ़ (Chandigarh)राष्ट्रीय

किसानों ने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए ‘राजद्रोह’ कानून को हाई कोर्ट में दी चुनौती ,

किसानों ने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए ‘राजद्रोह’ कानून को हाई कोर्ट में दी चुनौती ,
5 किसानों को गिरफ्तार किया गया था और 100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था।
चंडीगढ़(अटल हिन्द ब्यूरो )
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हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और बीजेपी नेता रणबीर गंगवा पर कथित हमले मामले में किसानों पर राजद्रोह की धाराओं में केस दर्ज करने पर हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर्स यूनियन के संयोज़क रमेश पंघाल ने अपने वकील प्रदीप रापडिया के माध्यम से दायर याचिका में राजद्रोह क़ानून की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि अभिव्यक्ति पर इसका “गहरा” प्रभाव पड़ता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जो कि एक मौलिक अधिकार है, उसमें यह बिना कारण बाधा पैदा करता है । उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए, जो देशद्रोह के अपराध से संबंधित है, पूरी तरह से असंवैधानिक है और इसे “स्पष्ट तौर पर समाप्त” किया जाना चाहिए।

विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के दौरान 11 जुलाई को भाजपा के रणबीर गंगवा पर कथित रूप से हमला किया गया था और उनके आधिकारिक वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था । रणबीर गंगवा की कार पर हमले की घटना के संबंध में सिरसा पुलिस ने विभिन्न आरोपों में सौ से अधिक प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है ।  धारा 124 (ए) (राजद्रोह) को भी प्राथमिकी में जोड़ा गया है।
दमनकारी प्रवृत्ति वाले कानून का स्वतंत्र भारत में कोई स्थान नहीं ।
याचिका में दलील दी गई है औपनिवेशिक समय के ‘राजद्रोह’ प्रावधान का इस्तेमाल किसानों को डराने, चुप कराने और दंडित करने के लिए किया जा रहा है। अग्रेजों के समय में राजद्रोह राजनीतिक अपराध था, जिसे मूलत: ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान राजनीतिक विद्रोह को कुचलने के लिए लागू किया गया था। इसने कहा कि इस तरह के ‘‘दमनकारी’’ प्रवृत्ति वाले कानून का स्वतंत्र भारत में कोई स्थान नहीं है। इसी महीने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीस भी ‘‘कानून के दुरुपयोग’’ को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं।
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बता दें कि,11 जुलाई को को सिरसा में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में भाजपा का कार्यक्रम था । इस कार्यक्रम में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा सहित अन्य नेता शरीक हुए । वहीं कार्यक्रम के बाद जब डिप्टी स्पीकर और अन्य नेता वापस लौट रहे थे तो किसानों ने कथित तौर पर उनका काफिला रोक लिया और पथराव शुरू कर दिया । इस दौरान किसानों ने कथित तौर पर डिप्टी स्पीकर की गाड़ी के शीशे तोड़ दिए व पुलिस पर भी पथराव किया। 5 किसानों की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए सेशन जज ने कहा था कि ‘राजद्रोह’ का अपराध संदिग्ध प्रतीत होता है।
किसानों के वकील प्रदीप रापडिया ने बताया की हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई इस हफ्ते होने की संभावना है।
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