परिणाम का पोस्टमार्टम
…ऐसे प्रचार के साथ होता रहा दोपहर तक मतदान !
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मतदान आरंभ होने के 48 घंटे पूर्व किसी भी प्रकार के प्रचार पर पाबंदी
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परिणाम से अधिक बड़ा सवाल अब सिस्टम की पारदर्शिता बना हुआ
क्या विशेष दल, विशेष उम्मीदवार के लिए विशेष व्यवस्था की सुविधा
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फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम/ पटौदी । प्रतियोगिता अथवा कंपटीशन कोई भी हो ऐसे आयोजन में किसी ने किसी की जीत निश्चित होती है । यदि फैसला बराबरी पर भी रहे तो, अंतिम फैसला सिक्का उछाल कर करने की व्यवस्था भी देखी जाती है। परिणाम आने के बाद ही इस बात का पोस्टमार्टम किया जाता है कि भविष्य में किस प्रकार और बेहतर प्रदर्शन किया जाए। दूसरी तरफ पराजित अथवा दूसरे नंबर पर रहने वाले के द्वारा चिंतन और मंथन किया जाता है , भविष्य में कमियों को कैसे दूर किया जाए। हर प्रतियोगिता या फिर कंपटीशन के ऐसे नियम भी होते हैं जो की किताब में लिखे हुए होते हैं । और इनका पालन किया जाना प्रतियोगिता करवाने वाले से लेकर प्रतिभागी और समर्थकों सभी के लिए कथित रूप से कानूनी अनिवार्य भी कहा गया है। ऐसे नियमों को विभिन्न माध्यमों से बार-बार अंतिम समय तक सार्वजनिक भी किया जाता रहता है। जिससे की पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।Post-mortem of Haryana assembly election result
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हाल ही में हरियाणा में सबसे बड़ी प्रतियोगिता( हरियाणा विधानसभा चुनाव) 2024 पॉलिटिकल पार्टियों राजनेताओं के बीच राज सत्ता को लेकर हुई है। इसके लिए भी कठोर और सख्त नियम बनाए गए। लेकिन जब प्रतियोगिता अर्थात मतदान वाले दिन ही दोपहर तक सार्वजनिक रूप से विशेष पार्टी विशेष उम्मीदवार के लिए विशेष व्यवस्था या सुविधा उपलब्ध रहे, तो सवाल सिस्टम से अधिक प्रतियोगिता करवाने बालों पर उठना स्वाभाविक है। कई बार प्रतियोगिता को लेकर आयोजकों के द्वारा अंतिम समय भी नियमों में बदलाव कर दिया जाता है, जिसकी जानकारी सभी की हो यह जरूरी नहीं ? इसी बात को ध्यान में रखते हुए संबंधित क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारी से जानकारी मांगने के लिए संपर्क किया गया फोन नहीं उठाया और जब नंबर पर व्हाट्सएप भेज कर अनुरोध किया गया, इसके बाद आज तक किसी प्रकार का कोई भी पक्ष उपलब्ध नहीं हो सका है।
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परिणाम चाहे जो भी रहा हो, वह आधिकारिक परिणाम घोषित हो चुका है । लेकिन जिस प्रकार का सिस्टम और सिस्टम ऑपरेट करने वालों के द्वारा सार्वजनिक रूप से किया गया पक्षपात सामने आया। वह निश्चित रूप से कहीं ना कहीं परिणाम को भी प्रभावित करने से नकारा नहीं कहा जा सकता। इसी प्रकार से मतदान वाले दिन, सार्वजनिक प्रचार को मतदान केंद्र तक आवागमन करने वाले आम लोगों को भी कथित रूप से प्रभावित किया जाने की भी चर्चाएं सुनने के लिए मिलती भी रही। इसी संबंध में संबंधित क्षेत्र में ही इस प्रकार के चुनाव प्रचार की सामग्री पर निगरानी करने वाले विभाग के ही एक अधिकारी का यहां तक दावा किया गया यह प्रचार पूरी तरह से जायज है । और इसकी परमिशन लेकर ही प्रचार किया जा रहा है । बाकायदा अधिकारी के द्वारा संबंधित व्यक्ति, संबंधित पार्टी का नाम लेकर यह बात कही गई।
जानकारी के मुताबिक यदि ऐसी व्यवस्था और सुविधा मतदान किया जाने के दिन तक उपलब्ध थी। तो फिर यह है चुनाव मैदान में उतरे तमाम पॉलिटिकल पार्टियों और उनके उम्मीदवारों तक क्यों नहीं पहुंचाई गई ? या फिर यह व्यवस्था सिर्फ क्षेत्र विशेष विधानसभा के लिए ही विशेष रूप से बनवाई गई या बनाई गई ? मतदान किया जाने वाले दिन दोपहर तक इस प्रकार की विशेष इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, चुनाव चिन्ह और उम्मीदवार चित्र वाले बड़े-बड़े यूनिपोल सड़क पर पूरे सिस्टम को ही अपना सिस्टम सुधारने की नसीहत देते हुए भी महसूस किए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। बहरहाल जिस दिन मतदान की प्रक्रिया चल रही थी, उस दिन दोपहर बाद एक बार फिर से मामला इलेक्शन सिस्टम के संज्ञान में लाया गया । बाद यह विशेष उम्मीदवार, विशेष पार्टी के विशेष प्रचार कर रहे सामग्री को हटाकर अपनी-अपनी पीठ थपथपा ली गई । लेकिन सवाल वही का वही है, जिसका जवाब लंबे समय तक इंतजार करता ही रहेगा।
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