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कैथल जिला परिषद में करोड़ों का घोटाला मनोहर सरकार के विधायक ने भी उठाई थी आवाज ,निर्माण सामग्री की खरीद-फरोख्त में भी गोलमाल ?

कैथल जिला परिषद में करोड़ों का घोटाला मनोहर सरकार के विधायक ने भी उठाई थी आवाज ,निर्माण सामग्री की खरीद-फरोख्त में भी गोलमाल ?
जिला परिषद में हुए इस गोलमाल को लेकर कनिष्ठ अभियंता जसवीर संधु व एसडीओ नवीन गोयत ने करीब 15 दिन में 600 से अधिक कार्यों के करीब 25 करोड़ रुपए के मैटिरियल की मनमर्जी तरीके से खरीद की हैं। आरोप है कि जेई ने इसमें से 18 करोड़ रुपए के बिलों की अदायगी भी करवा दी। इसमें से अब 8 से करीब 10 करोड़ रुपए की अदायगी पैंडिग है। आरोप है कि इस अदायगी में भी गोलमाल हो सकता है।

कैथल (Atal Hind)कैथल जिला परिषद में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले की अब परत खुलती नजर आ रही है।बीजेपी  विधायक लीलाराम द्वारा तथ्यों के साथ दस्तावेज प्रस्तुत करने एवं मीडिया द्वारा घोटाले की खबरे प्रकाशित करने के बाद सरकार के कानों में जूं रेंगी और राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच स्टेट विजिलेंस, विभागीय विजिलेंस व एडीसी को सौंपी।

                                       =============कमलप्रीत कौर===========
क्राइम इनवेस्टीगेशन ब्यूरों के महानिदेशक आर के कौशिक का आरोप है कि पंचायतराज एवं विकास विभाग की नोटिफिकिशन को दरकिनार करते हुए तत्कालीन जिला परिषद की सीईओ कमलप्रीत कौर ने करीब 32 करोड़ रुपये के वर्क आर्डर विभागीय तौर पर कार्य करवाने बारे जारी कर दिए। नियमों को ताक पर रखते हुए बिना हाउस के चेयरपर्सन की सिफारिश पर टाइड व अनटाइड की 31.64 करोड़ की ग्रांट की राशि से करीब 683 विकास कार्यों को मंजूरी दी थी।
वहीं अब मामले को खंगालने के लिए जिला परिषद के कार्यकारी अधिकारी ने पत्र क्रमांक 11669-75 दिनांक 20 अगस्त 2021 के माध्यम से कमेटी का गठन किया है। कमेटी को 10 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं।
कमेटी में जिला परिषद के लेखा अधिकारी, गुहला, संबंधित खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, कलायत और राजौंद खंड के लिए पंचायती राज के उपमंडल अधिकारी विवेक गुप्ता, खंड सीवन, ढांड और पूंडरी  पंचायती राज के उपमंडल अधिकारी राकेश गुप्ता, संबंधित सर्कल के खंड के पंचायती राज के कनिष्ठ अभियंता और ग्राम सचिव को शामिल किया गया है।

पाॅवर 10 लाख की, आदेश जारी किए 3.25 करोड़ के
आरोप है कि 15वें वित्तीय आयोग की राशि से 3.25 करोड़ रुपये के सैंकड़ों कार्य विभागीय तौर पर कार्य करवाने बारे आदेश जारी कर दिए, इतना ही नहीं हरियाणा सरकार के पंचायत विभाग के प्रधान सचिव के निदेर्शानुसार विभागीय कार्य केवल एक लाख रुपये तक करवाए जा सकते हैं।
उप मंडल अधिकारी केवल 10 लाख के एस्टीमेट तकनीकी रूप से स्वीकृत कर सकते थे न कि 10 लाख रुपए तक के विभागीय कार्य करवा सकते थे। उक्त अधिकारियों ने इन सभी कार्यों के टेंडर लगवाने की बजाय विभागीय तौर पर करवाकर सरकार को करीब 10-15 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है।
इसके पश्चात इन कार्यो को करवाने का जिम्मा तत्कालीन उपमंडल अधिकारी नवीन गोयत को सौंपा गया। यह भी आरोप है कि निर्माण सामग्री की खरीद-फरोख्त में भी गोलमाल किया गया। सामाजिक संस्थाओं का आरोप है कि पंचायती राज विभाग के अधिकारी एक दूसरे से मिले हुए हैं, इसलिए जांच किसी दूसरे विभाग के क्लास वन तकनीकी अधिकारियों से करवाई जाए ताकि फर्जी अदायगी पर रोक लगाकर सरकार को करोड़ों रुपये से चूना लगाने से रोका जा सके। यह भी आरोप है कि कुछ अधिकारी पार्षदों के साथ मिलकर जिला परिषद के कार्यकारी अधिकारी को झूठी रिपोर्ट पेश कर रहे हैं ताकि वह अपनी अदायगी करवा सकें।

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15 दिन में एक जेई व एसडीओ ने बनाए थे करीब 25 करोड़ के बिल
शिकायत में आरोप लगाया है कि जिला परिषद में हुए इस गोलमाल को लेकर कनिष्ठ अभियंता जसवीर संधु व एसडीओ नवीन गोयत ने करीब 15 दिन में 600 से अधिक कार्यों के करीब 25 करोड़ रुपए के मैटिरियल की मनमर्जी तरीके से खरीद की हैं।
आरोप है कि जेई ने इसमें से 18 करोड़ रुपए के बिलों की अदायगी भी करवा दी। इसमें से अब 8 से करीब 10 करोड़ रुपए की अदायगी पैंडिग है। आरोप है कि इस अदायगी में भी गोलमाल हो सकता है।
कुछ शीर्ष अधिकारी इस मामले में अब भी गोलमाल करने के चक्कर में है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने कुछ गलियां अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए व्यक्तिगत जमीन पर बनाई गई हैं। यह भी आरोप है कि कोटेशन में मार्केट रेट से अधिक के रेट दर्शाए गए हैं। गोलमाल करने के लिए पंचायतों द्वारा बनाई गई गलियों को दोबारा से स्वीकृत करवाकर अदायगी का प्रयास किया जा रहा है।

 

गौरतलब है कि वित्त 2020-21 में जिला परिषद की तरफ से गांव के विकास को लेकर 31 करोड़ 64 लाख रुपये का बजट जारी किया गया। इसके अलावा वित्तीय आयोग से 3 करोड़ 25 लाख व स्कूलों के सौंदर्यकरण के लिए एक करोड़ 62 लाख रुपए जारी हुए। इन पैसों ने स्कूलों का सौंदर्यकरण, गांवों व तालाबों की साफ सफाई, गांव की गलियों, चौपाल व सामुदायिक केंद्र के निर्माण कार्य किया जाना था।
आरोप है कि इन पैसों के विकास की बजाय अधिकारियों ने फर्जी बिल व लेबर मस्ट्रोल तैयार करके जिले में एक घोटाला किया। इस घोटाले से पर्दा उठाने के लिए पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा, विधायक लीला राम, जजपा नेता राजू पाई व जिला परिषद की निवर्तमान  पार्षद सुदेश उर्फ बबली एवं सामाजिक संस्थाएं भी आगे आई। यही नहीं पार्षद सुदेश उर्फ बबली अपने पति बिल्लू चंदाना के साथ एक दिन का अनशन भी किया था।
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