AtalHind
टॉप न्यूज़विचार /लेख /साक्षात्कार

खापों की तल्ख़ी का फ़ायदा किस सियासी दल को?

खापों की तल्ख़ी का फ़ायदा किस सियासी दल को?
लोगों की शिकायत है कि योगी ने पिछले तीन सालों से गन्ने के मूल्य में मामूली बढ़ोतरी भी न करना है। इसके अलावा दूसरी बड़ी समस्या गन्ने का बकाया भुगतान है। जबकि अन्य मुख्य नाराज़गी जिसका ज़िक्र भाजपा के कट्टर समर्थक भी बेबाकी से करते वह है बिजली के अत्यधिक बढ़े हुए दाम।

——-BYके. पी. मलिक———-

आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सत्ताधारी दल भाजपा और तमाम विपक्षी दल अपनी अपनी ताकत और शक्तियों को आंकने में लग गए हैं। विपक्ष मजबूती के साथ तमाम छोटे-छोटे सियासी दलों के साथ गठबंधन करने में लगा हुआ है। वही सत्ताधारी भाजपा भी अपने नफे नुकसान के हिसाब किताब के आकलन में लगा हुआ है। यहां एक बात बहुत महत्वपूर्ण है, जो सत्ताधारी दल भाजपा को मजबूती प्रदान करती हुई दिखती है। वह है प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और पाक साफ़ होने की छवि।

Advertisement
आगामी चुनाव को देखते हुए आजकल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाँवों के लोगों के सोशल मीडिया पर अनेकों वीडियो देखे जा सकते हैं। अगर किसानों ओर ग्रामीणों के विचार सुने जो बात सबसे ज़्यादा उभर कर आती वह है कि लोगों की शिकायत है कि योगी ने पिछले तीन सालों से गन्ने के मूल्य में मामूली बढ़ोतरी भी न करना है। इसके अलावा दूसरी बड़ी समस्या गन्ने का बकाया भुगतान है। जबकि अन्य मुख्य नाराज़गी जिसका ज़िक्र भाजपा के कट्टर समर्थक भी बेबाकी से करते वह है बिजली के अत्यधिक बढ़े हुए दाम।
हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि नई सड़कों और क़ानून व्यवस्था में हुए कई सुधारों को बहुत ही जोश को साथ बयान कर रहे हैं। इस जोश के चलते कोरोना कालखंड में हुई परेशानियों को दरकिनार करते हुए भाजपा की योगी सरकार की तारीफ़ कर रहे हैं। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इन समस्याओं के प्रति तुरंत गंभीरता पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।

पश्चिमी यूपी के जानकार और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ पद से सेवानिवृत्त रोहतास सिंह तोमर कहते हैं कि भाजपा को किसान और ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए इस पर तत्काल विचार करते हुए लोगों की इन समस्याओं के बारे में जागरूक होने का सबूत देना चाहिए। मैं समझता हूँ कि अगर भाजपा ने गन्ने के दामों, बकाया भुगतान और बिजली के मूल्यों पर हथौड़ा मार दिया, भले ही मामूली बढ़ोतरी ही हो, निश्चित रूप से राजनीतिक तौर पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा ।
क्षेत्रीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, समाचार पत्र और सोशल मीडिया अलग-अलग विषयों पर नित नये-नये मिलेजुले वीडियो पेश कर रहा है। उन विडियोज से कम से कम एक बात तो साफ़ नज़र आ रही हैं कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में टिकैत बन्धुओं के आंदोलन का भूत लोगों के दिमाग़ के धीरे-धीरे उतरता सा नज़र आ रहा है। लोग इन लोगों को अब बेहतर समझ रहे हैं। एक बुजुर्ग किसान को कहते सुना गया है कि बहुत लम्बे अरसे से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान वर्ग सरकार विरोधी नीति अपनाते आ रहे हैं मगर हर बार नुक़सान ही उठाना पड़ता है।
इस पर उन्होंने गाजीपुर के साल 2018 के किसान आंदोलन का भी उदाहरण दिया जहां पर किसानों और दिल्ली पुलिस के बीच में भयंकर टकराव हुआ था। जिसका नतीजा सिफर रहा था। उनका कहना है कि किसान को भी नीतिगत फैसले लेते हुए अगर सरकार किसानों की समस्याओं पर ईमानदारी से विचार करती है तो किसानों को भी हठधर्मिता नहीं अपनानी चाहिए और किसान और गरीब के हक़ में नीतिगत फैसला लेते हुए किसान हितैषी सरकार के निर्माण के लिए कदम बढ़ाना चाहिए।

पिछले दिनों किसानों की राजधानी और बालियान खाप की पंचायत के गढ़ सिसौली में हुई स्थानीय विधायक के साथ मारपीट के बाद केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत का इस प्रकार का बयान बालियान खाप में ही दरार पैदा करने वाला है। उसके अलावा बालियान और गठवाला कि मलिक खाप के बीच इस प्रकार से तलवारे खींचना भी, सरकार और सत्ताधारी दल भाजपा के साथ टकराव बढ़ाने के लिए काफी है। भाजपा के केंद्रीय मंत्री का इस प्रकार का बयान किसी भी सूरत में सराहनीय नहीं हो सकता। किसी भी झगड़े को समाप्त करने और आपस में मिलजुल कर मामले को सुलझाने के लिए दोनों नेताओं के बयानों में तालमेल होना अति आवश्यक है।
जबकि केंद्रीय मंत्री का यह कहना कि पुलिस प्रशासन या तो उनको जेल में डालें और या बीच में से हट जाए, आपसी टकराव की नीति को दर्शाता है। इसके अलावा किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत के बयान को भी बहुत अच्छा नहीं बताया जा रहा है। बयान पर क्षेत्रीय किसानों की राय मिली जुली है। कुछ लोग उनके इस बयान को सही बता रहे हैं वहीं इस बयान को गलत बताने वालों की फेहरिस्त भी लंबी है।

Advertisement
जानकार बताते हैं कि इस प्रकार की दोनों पक्षों की बयानबाजी से समाज और किसानों में बंटवारा करके टकराव करना क्षेत्रीय समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि विधायक पर हमला करना निंदनीय है। एक जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि के सम्मान को मिट्टी में मिलाने के बाद बीकेयू अध्यक्ष का अपने सम्मान की बात कर रहे है। दोनों ही जिम्मेदार व्यक्ति हैं दोनों के बयानों में सभ्यता और शालीनता की भाषा नगण्य है।
जिन लोगों की मदद से किसान आंदोलन को इतना बल मिला, अब उन किसानों को गठवाला और बालियान खाप में बांटना किसानों के लिए नुकसानदेह और दुर्भाग्यपूर्ण है। गठवाला खाप को बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत का का आँख दिखाना और इस क़िस्म के अभद्र आचरण से खुद बालियान खाप के समझदार और विचारक व्यक्तियों के भी मन बदल से गये हैं।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि चारों ओर इस आचरण की भर्त्सना हो रही है। इनकी समझदारी तो तब होती अगर विधायक मलिक पर हमले पर अफ़सोस जताते हुए किसान आंदोलन से गुस्साए किसान युवाओं की गलती बताते हुए उनको माफ करने की बात करते। मगर दुर्भाग्य है कि घमंड ओर अहंकार इस कदर हावी है कि सही सोच ओर सामाजिक वरताव कहीं नज़र नहीं आ रहा है।
जो आपसी विवाद और किसान शक्ति के डाउनफॉल का कारण बन सकता है। यहां पर बालियान खाप के चौधरियों को यह भी सोचना होगा कि मलिक खाप गठवाला किसी भी लिहाज़ से बालियान खाप से कमतर नहीं है। इसलिए दोनों के टकराव का सीधा-सीधा नुकसान किसान और समाज को होगा। जबकि फायदा सिर्फ़ सियासी नेताओं और उनके दलों को होगा। जिसके अनेकों उदाहरण इतिहास में मिल जाते हैं।
इसलिए मेरा मानना है कि दोनों खापों के चौधरियों और विद्वानों को मिल जुलकर इस मामले को निपटाते हुए निर्णय लेना चाहिए और आगामी ज़िले मुज़फ्फरनगर की 5 सितंबर की किसान पंचायत को सफल बनाने की रणनीति पर दोनों खाप पंचायतों को आपस में मिलकर काम करना चाहिए। जिससे केंद्र और प्रदेश की सरकार पर दबाव बनाकर किसानों के हितों के लिए समझौते किए जा सके। आज किसानों को इस प्रकार की समझदारी और रणनीति से आगे बढ़ना होगा कि उनके हित भी सध जाएं और आपस में कोई भेदभाव या टकराव भी ना पनप सके।
(लेखक ‘दैनिक भास्कर’ के राजनीतिक संपादक हैं)
Advertisement

Related posts

बीजेपी मोदी सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि 180 देशों में सबसे नीचे भारत, सरकार ने कहा- पैमाना ‘पक्षपाती’

atalhind

नरवाना में फिल्मी अंदाज में नकली पुलिस कर्मी बनकर आए गिरोह के सदस्य ,7 काबू

atalhind

क्या है वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट, जिसमें शामिल हुआ JN.1 वैरिएंट, WHO का नया अलर्ट

editor

Leave a Comment

URL