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करनाल तहसीलदार ने करोड़ों रुपए ? डीटीपी ने सैकड़ों करोड़? डीएफएससी ने सैकड़ों करोड़ रुपए कमाए ?और विधायक मनोहर लाल ,,,,,,!

खट्टर साहब “खिचड़ी” खाते रहे और भ्रष्ट अफसर “मौज” करते रहे

खट्टर जिन अफसरों को ईमानदार कहते रहे वो करनाल में भ्रष्टाचार का खुला खेल खेलते रहे

कुलदीप श्योराण/अटल हिन्द ब्यूरो

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 करनाल। क्या यह सही है कि सीएम मनोहर लाल खट्टर अफसरों पर खुद से ज्यादा भरोसा करते हैं?
– क्या यह सही है कि खट्टर अफसरों को ईमानदार और नेताओं को बेईमान समझते हैं?
-क्या यह सही है कि हरियाणा से भ्रष्टाचार खत्म करने की खट्टर की मुहिम फ्लाप रही है?
– क्या यह सही है कि सीएम सिटी करनाल में ही अफसरों ने सीएम खट्टर के जीरो टॉलरेंस नीति की धज्जियां उड़ा दी हैं??
– क्या यह सही है कि करनाल में खट्टर द्वारा ईमानदार घोषित अफसर खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल खेलते रहे ?
– क्या यह सही है कि करनाल में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ सारी शिकायतों को अनसुना कर दिया गया?
– क्या यह सही है कि भ्रष्टाचारी अफसरों को करनाल में पूरा आशीर्वाद दिया गया?
– क्या यह सही है कि करनाल में अवैध कॉलोनियों के जरिए डीटीपी ने सैकड़ों करोड़ कमाए?
– क्या यह सही है की फ़र्जी रजिस्ट्रियों के जरिए करनाल में तहसीलदार ने करोड़ों रुपए कमाए?
-क्या यह सही है कि करनाल में सैलर मालिकों के साथ मिलीभगत करके डीएफएससी ने सैकड़ों करोड़ रुपए कमाए ?
-क्या यह सही है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर आई हजारों करोड़ की राशि का नगर निगम SE ने बंदरबांट करने का काम किया?
– क्या यह सही है कि भ्रष्ट अफसरों की तिकड़ी को तत्कालीन डीसी निशांत यादव ने खुलकर संरक्षण प्रदान किया?
– क्या यह सही है कि करनाल में सीएम ने भ्रष्टाचारी अफसरों पर भरोसा करने का काम किया?


 उपरोक्त सभी सवालों का जवाब हां में है।
 7 साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने आ रहे मनोहर लाल खट्टर ने भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति पर बार-बार चलने की घोषणा की है।
 वह इस नीति के सफल होने के बड़े-बड़े दावे भी करते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि मनोहर लाल खट्टर की जीरो टॉलरेंस नीति की खुद करनाल में ही धज्जियां उड़ा दी गई हैं।
 मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जिन अफसरों को ईमानदारी का तमगा देकर उन्हें 3-4 साल से करनाल में ही पोस्टिंग दिए हुए हैं वह सभी अफसर महा भ्रष्टाचारी निकले हैं।
 सीएम का करनाल शहर भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन गया है। सीएम सिटी होने के कारण और स्मार्ट सिटी की लिस्ट में होने के कारण करनाल में पिछले 7 साल के दौरान हजारों करोड़ की ग्रांट विकास कार्यों के लिए आई है।
 इसके अलावा शहर की अवैध कॉलोनियों के विस्तार, फर्जी रजिस्ट्रियों के जरिए भी करनाल जिले में भ्रष्टाचारी अफसरों की चौकड़ी ने खुला खेल खेलते हुए सैकड़ों करोड़ की काली कमाई अर्जित करने का काम किया।
 मुख्यमंत्री की नाक के नीचे भ्रष्टाचार का खुल खुला खेल होता रहा। उसे बड़े अफसर संरक्षण प्रदान करते रहे और मुख्यमंत्री कुंभकरण की नींद सोते रहे।
 अब सीएम सिटी करनाल में भ्रष्टाचारी अफसरों की पोल खुलने के बाद अब खट्टर की जुंडली में हड़कंप मच गया है और सभी एक दूसरे को बचाने की मुहिम में लग गए हैं।
 चाहे विकास कार्यों की क्वालिटी में गड़बड़ी का मामला हो, चाहे फर्जी प्रॉपर्टी आईडी का मामला हो, चाहे फर्जी रजिस्ट्री का मामला हो, चाहे नगर निगम में बड़े घोटालों का मामला हो, चाहे सफाई ठेके में गड़बड़ी का मामला हो, चाहे स्ट्रीट लाइट घोटाले की बात हो…दर्जनों बार भ्रष्टाचार की शिकायतें हुई लेकिन हर बार बड़े अफसरों ने भ्रष्टाचार की सारी शिकायतों पर पर्दा डाल दिया।

 मुख्यमंत्री अफसरों की बात पर यकीन करते रहे और अपनी टीम के अफसरों को ईमानदार करार देते रहे लेकिन यह सच्चाई है कि लंबे समय से करनाल में पोस्टिंग लेकर बैठे हुए अफसरों ने भ्रष्टाचार के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए और मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का बंटाधार करने का काम कर दिया।
 खास बात है कि भ्रष्टाचार के मामलों में छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बना दिया गया। इस बारे में कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव विरेंद्र सिंह राठौर ने आज दस्तावेजों के साथ करनाल में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोलने का काम किया। उन्होंने बताया कि मनोहर सरकार में भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ है बल्कि कई गुना बढ़ गया है और बड़े-बड़े अफसरों ने आपस में मिलीभगत करके करनाल को भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी मंडी बना कर रख दिया है।
 जिन अफसरों को मुख्यमंत्री ईमानदारी का तमगा देते रहे वही अफसर भ्रष्टाचार के गिरोह के सदस्य थे और अब उनका पर्दाफाश होने के बाद उन्हें सजा देने की बजाय उन्हें बचाने की मुहिम चलाई जा रही है।
 उन्होंने पिछले 7 साल में हुए दर्जनों घोटालों की चर्चा करते हुए बताया कि हर बार भ्रष्टाचार में शामिल अफसरों को बचाने का काम बखूबी किया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अगर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को हकीकत में ईमानदारी से जारी रखना चाहते हैं तो करनाल के सभी भ्रष्टाचारी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके दिखाएं अगर ऐसा नहीं होता है तो यह समझा जायेगा मुख्यमंत्री भट्टाचार्य के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं।
 बात यह है कि हरियाणा मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री बनने के बाद भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सार्थक प्रयास करने के प्रयास किए लेकिन अफसरशाही पर ज्यादा भरोसा करना उनके अभियान को पंचर करने का काम कर गया है।
 यह हकीकत है कि इस समय खट्टर सरकार में अफसरशाही हावी हो चुकी है बेईमान अफसर आपस में मिल बांटकर हर विभाग में भ्रष्टाचार को बड़े स्तर पर अंजाम दे रहे हैं।
 भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए सीएम विंडो का गठन किया गया लेकिन विंडो पर शिकायतों का निवारण करने वाले अक्सर खुद ही भ्रष्टाचार में शामिल हों तो ऐसे में शिकायतों के निवारण की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
 करनाल में सीएम की नाक के नीचे भ्रष्टाचार को बड़े पैमाने पर अंजाम दिया गया। मुख्यमंत्री अफसरों पर आंखें मूंदकर विश्वास करते रहे और वही बेईमान अफसर मुख्यमंत्री के शहर में भ्रष्टाचार के बलबूते पर पौबारह करते रहे।
 करनाल में ही जब भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच चुका है तो ऐसे में पूरे प्रदेश के हालात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। करनाल में डीटीपी, तहसीलदार, नगर निगम SE, DFSC ऐसे जैसे बड़े अफसरों के भ्रष्टाचार में शामिल होने के चलते यह साफ हो गया है कि करनाल में पोस्टिंग लेकर अफसरों ने जमकर चांदी कूटी है।
 करनाल की भ्रष्टाचार की बड़ी कहानी यह बता रही है कि 7 साल के दौरान हरियाणा से भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं हुआ है बल्कि वह कई गुना बढ़ गया है। साथी नेताओं पर भरोसा करने की बजाय अफसरों पर भरोसा करना सीएम मनोहर लाल को महंगा पड़ा है क्योंकि बेलगाम अफसरशाही ने हरियाणा में मुख्यमंत्री को ठेंगा दिखाते हुए भ्रष्टाचार में शामिल होकर मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति को फ्लॉप कर दिया है।

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मनोहर लाल खाली हाथ कैसे रह सकते है !
ऐसे में सात साल से करनाल के विधायक बनते आ रहे मनोहर लाल खाली हाथ कैसे रह सकते है !ऐसा तो तभी सम्भव है या तो करनाल बीजेपी विधायक मनोहर लाल ऐसी जगह में रहते है जहाँ आदमी तो क्या परिंदा भी पर नहीं मार सकता। या फिर करनाल हलके के नागरिक अपने विधायक मनोहर लाल से बीते सात सालों से कभी उनसे मिले नहीं ,यानी मनोहर लाल जब से करनाल के विधायक बने है तब से करनाल की जनता से मिले ही नहीं या फिर उन अफसरों संरक्षण करते रहे जिनका काला चिट्ठा अब जनता के सामने करोड़ों-अरबों के रिश्वत मामले में सामने आया है ?हरियाणा में ऐसा कोण सा नया पुराना ,वर्तमान -निवर्तमान विधायक होगा जिसे यह ना मालूम हो की उसके हलके में कोण सा अफसर ईमानदार नहीं है !सभी को मालूम है अगर नहीं मालूम होता तो उस अफसर से परेशान जनता विधायक को जाकर बताती है ताकि उनकी समस्या हो जाए और उनका काम बन जाए। लेकिन करनाल का मामला कुछ अजीब दिखाई दे रहा है या फिर एक मुखड़े पर दो दो मुखौटे लगे है !हरियाणा में हर दिन नए घोटाले सामने आ रहे है इनके पीछे कोण सा अफसर कोण सा नेता दोषी है वर्तमान सरकार के रहते खुलासा होना संभव नहीं है क्योंकि खुद के पाँव पर कुल्हाड़ी मारना हर किसी की बात नहीं होती। हरियाणा सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति चलते करनाल विधायक मनोहर लाल की कार्यशैली भी संदेह के घेरे में दिखाई दे रही है !

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