भारत में पनपते हिन्दू आंतकी
ईसाई परिवार पर हमला, पुलिस का एफआईआर दर्ज करने से इनकार
कवर्धा: छत्तीसगढ़ के कवर्धा(Kawardha) में एक ईसाई स्कूल होली किंगडम स्कूल के प्रिंसिपल, पादरी जोस थॉमस ईसाई परिवार को रविवार की चर्च सेवा के दौरान हिंदुत्ववादी भीड़ द्वारा हिंसक हमले के बाद छिपने पर मजबूर होना पड़ा.18 मई को सुबह करीब 11:40 बजे, करीब 80-100 बजरंग दल और विहिप के सदस्य स्कूल परिसर में घुस आए, जहां रविवार को चर्च की सर्विस चल रही थी. कथित तौर पर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए भीड़ ने प्रार्थना कक्षों में घुसकर महिलाओं और नाबालिगों सहित वहां मौजूद लोगों की पिटाई की और ‘शौचालय में छिपी किशोर लड़कियों को डराया गया.
ऑनलाइन प्रसारित हमले के वीडियो की पुष्टि की गई और उसमें बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप)(Hindu terrorists flourishing in IndiaChristian family attacked, police refuse to file FIR) के सदस्यों को होली किंगडम इंग्लिश हायर सेकेंडरी स्कूल में घुसते, कर्मचारियों के साथ मारपीट करते और जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए दिखाया गया है- एक ऐसा दावा जिसके लिए हमलावरों ने कोई सबूत नहीं दिया.
हालांकि, पीड़ितों का आरोप है कि यह पूरा प्रकरण वर्षों से चले आ रहे उत्पीड़न और जबरन वसूली का नतीजा है, जो अब पुलिस की निष्क्रियता और राजनीतिक मिलीभगत के कारण और भी बढ़ गया है.
हमले के एक दिन बाद पुलिस ने पादरी जोस को कथित ‘सीसीटीवी जांच’ के लिए बुलाकर अस्पष्ट आरोपों के तहत गिरफ्तार कर लिया.
कथित तौर पर बिना वारंट के उनके फोन की तलाशी ली गई और उनकी पत्नी को भी तलब किया गया. जमानत मिलने के बाद पादरी जोस को कार की डिक्की में छिपकर कवर्धा से भागना पड़ा क्योंकि बजरंग दल के लोग उनसे निपटने के लिए अदालत के बाहर जमा हो गए थे.
कई प्रयासों के बावजूद पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से परिवार को मना कर दिया है.
जोशुआ का आरोप है कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) बघेल और एसपी धर्मेंद्र सिंह सहित स्थानीय पुलिस अधिकारी ‘सरकारी दबाव’ में काम कर रहे थे.
इसी दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र चंद्रवंशी और राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा सहित राजनीतिक नेताओं पर हमलावरों को बचाने का आरोप भी लग रहा है.
यह पहली बार नहीं है कि थॉमस परिवार को निशाना बनाया गया है. 2010-11 में पादरी जोस को झूठे आरोपों के तहत 10 दिनों के लिए जेल में रखा गया था, उसके बाद अदालतों ने उन्हें बरी कर दिया.
इसके बाद साल 2022 में 100 लोगों की भीड़ ने स्कूल के आवासीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया. परिवार का आरोप है कि आयकर विभाग जैसी एजेंसियों ने बिना किसी उचित प्रक्रिया के उनके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया, यह सब ‘उन्हें बाहर निकालने के व्यापक राजनीतिक प्रयास’ के तहत किया गया.
समाचारों से पता चलता है कि एक अधिकारी का तबादला किया जा सकता है, लेकिन इसके अलावा, भीड़ का नेतृत्व करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
पिछले रविवार को कवर्धा में कई चर्च बंद रहे. जोशुआ ने कहा, ‘लोग डरे हुए हैं. यहां तक कि जो लोग हमारे साथ खड़े थे, वे भी खुद को दूर कर रहे हैं. हर कोई बस हालात के शांत होने का इंतज़ार कर रहा है.’
जोशुआ का दावा है कि हिंसा की असली वजह फीस विवाद था. भाजपा नेता राजेंद्र चंद्रवंशी ने स्कूल को फोन करके भाजपा समर्थक के बच्चे के लिए ट्रांसफर सर्टिफिकेट मांगा था, जबकि दो साल से फीस नहीं चुकाई गई थी और कोई औपचारिक आवेदन भी नहीं किया गया था. जब स्कूल ने इनकार कर दिया, तो दबाव और बढ़ गया.
परिवार का दावा है कि इसके बाद उन्हें धमकियों, फिरौती की मांगों- जिसमें धर्मांतरण के नैरेटिव को दबाने के लिए 1 लाख रुपये की मांग भी शामिल थी- का सामना करना पड़ा, साथ ही मीडिया द्वारा भी परेशान किया गया.
बताया गया है कि 6 मई तक बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ताओं ने एक स्थानीय ऑनलाइन चैनल के साथ मिलकर कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और स्कूल बंद करने का आह्वान किया.
अंततः स्कूल ने दबाव में आकर प्रमाण पत्र जारी कर दिया, लेकिन हमले यहीं नहीं रुके
पादरी थॉमस कहते हैं, ‘कई आईएएस अधिकारी, पुलिस अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर और सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) ने यहां से पढ़ाई पूरी की है. यह 35 साल पुराना स्कूल है.’