हार्वर्ड में कितने भारतीय छात्र पढ़ते हैं?
अमेरिका (US) की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) अब विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन नहीं दे पाएगी. डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन (Donald Trump) ने इस पर रोक लगा दी है. इस फैसले के बाद से हार्वर्ड में पढ़ रहे हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. इनमें भारतीय छात्र भी शामिल हैं. अब आगे इन भारतीय छात्रों के पास क्या ऑप्शन हैं? इसके बारे में जानेंगे. पहले इस फैसले के बारे में समझते हैं.
डॉनल्ड ट्रंप हार्वर्ड के पीछे क्यों पड़े हैं?
डॉनल्ड ट्रंप के साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के टकराव की शुरुआत इस साल अप्रैल में हुई. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की सभी यूनिवर्सिटीज से अपने कैंपस में चल रहे फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन बंद करवाने को कहा था. लेकिन हार्वर्ड प्रशासन ने ट्रंप सरकार की बात मानने से इनकार कर दिया.
इसके बाद से हार्वर्ड ट्रंप प्रशासन के निशाने पर आ गया. होमलैंड सिक्योरिटी विभाग और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ सहित तमाम फेडरल एजेंसियों ने हार्वर्ड को दी जाने वाली अनुदान राशि में कटौती कर दी. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में केस भी किया है. यूनिवर्सिटी का आरोप है कि ट्रंप सरकार राजनीतिक दबाव बनाकर शैक्षणिक कामकाज को कंट्रोल करना चाहती है. हार्वर्ड ने इसे यूनिवर्सिटी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है.
एक्शन क्यों लिया गया है?
क्रिस्टी नोएम ने इस एक्शन के संबंध में एक लेटर जारी किया है. इसमें बताया गया है कि अमेरिकी सरकार ने कैंपस में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की जानकारी मांगी थी. लेकिन हार्वर्ड प्रशासन ऐसा करने में विफल रहा. इस पत्र में बताया गया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन से खासतौर पर यूनिवर्सिटी कैंपस में विरोध प्रदर्शन में शामिल छात्रों के रिकॉर्ड समेत उनके ऑडियो विजुअल डॉक्यूमेंट भी मांगे गए थे.
क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड में हुए विरोध प्रदर्शनों में हमास के समर्थन करने वाली भावनाओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. उन्होंने यूनिवर्सिटी की विविधता, समानता और समावेशन (Inclusion) आधारित नीति की भी आलोचना की. और इन नीतियों को नस्लवादी और यहूदी छात्रों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने वाला बताया. नोएम ने एक्स पर लिखा,
डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. अगर यूनिवर्सिटी को अपना SEVP स्टेटस बनाए रखना है तो उन्हें 72 घंटों में मांगे गए डॉक्यूमेंट देने होंगे. साथ ही ट्रंप प्रशासन की दूसरी मांगों को भी पूरा करना होगा. अगर हार्वर्ड प्रशासन ऐसा नहीं करता है तो यहां पढ़ रहे विदेशी छात्रों का भविष्य खतरे में आ जाएगा.
भारतीय स्टूडेंट्स पर क्या असर होगा?
भारत समेत तमाम विदेशी छात्र, जिनकी अभी चल रहे सेमेस्टर में डिग्री पूरी होने वाली है. उन्हें ग्रेजुएशन पूरा करने की अनुमति दी जाएगी. ये छात्र अगले हफ्ते तक ग्रेजुएट हो जाएंगे. लेकिन जिन छात्रों ने अपनी डिग्री पूरी नहीं की है, उन्हें किसी दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर लेना होगा. अगर छात्र ऐसा नहीं करते हैं तो अमेरिका में रहने की उनकी लीगल परमिशन खत्म हो जाएगी. यानी उनको अमेरिका छोड़ना पड़ेगा.
अब एक और सवाल उठता है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों का नया एडमिशन होगा या नहीं. ये तब तक संभव नहीं है जब तक अमेरिकी सरकार अपना फैसला नहीं बदलती या फिर कोर्ट का दखल नहीं होता. फिलहाल अगर हार्वर्ड 72 घंटे में अमेरिकी प्रशासन की डिमांड पूरी कर देता है तो उनका SEVP स्टेटस बहाल हो सकता है.
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