हरियाणा की चीनी मिलों का ‘किंग’ रजनीश
अफसरों को ‘प्यादा’ बनाने में ‘माहिर’ रजनीश
– सीएम विंडो पर शिकायत के बाद भी नहीं हुई सुनवाई
– काम हासिल करने को फर्जी अनुभव तो पेनल्टी न भरने का ढूंढता रास्ता
– 5 साल पहले ग्लोबल कंपनी में था कर्मचारी, खड़ी कर दी सैकड़ों करोड़ रुपये की फर्म
– चीनी मिलों में नई भर्ती न होने के चलते 7 चीनी मिलों का हथियाया संचालन व रख-रखाव
चंडीगढ़ /26/04/2025/राजकुमार अग्रवाल /अटल हिन्द
कहने को हरियाणा की सहकारी चीनी मिलें शुगरफेड (Sugarfed Haryana)चल रहा है, लेकिन सच तो यह है कि शुगरफेड सिर्फ रेगुलेटरी बॉडी बन कर रह गया है। प्रदेश की अधिकतर सरकारी चीनी मिलों को गाजियाबाद की फर्म मैसर्स ओम एंटरप्राइजेज चला रही है। इस फर्म का संचालक रजनीश त्यागी है,(Rajneesh Tyagi, the ‘King’ of Haryana’s sugar mills) जो महज 5 साल के अंदर हरियाणा की चीनी मिलों का ‘किंग’ बन चुका है। रजनीश त्यागी को ‘किंग’ इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इसकी फाइल जब चलती है तो रास्ते में कोई ‘स्पीड ब्रेकर’ नहीं आता। ‘ब्रेकर’ आए भी तो अपने ‘हुनर’ से रजनीश त्यागी उसे तुरंत हटा देते हैं।
दरअसल, रजनीश त्यागी 5 साल पहले तक असंध चीनी मिल का संचालन करने वाली फर्म ग्लोबल केन शुगर में कर्मचारी था। असंध चीनी मिल प्रदेश की ऐसी पहली मिल थी, जिसमें स्टाफ के अभाव के कारण ऑपरेशंस व मेंटेनेंस का कार्य ग्लोबल को अलॉट किया गया। बस यहीं से त्यागी ने उक्त फर्म के लिए जैसे ही सरकारी दफ्तरों की ‘भागदौड़’ शुरू की, और जिस तरह के ‘रास्ते’ नजर आए, वहीं से अपनी फर्म बनाने की ठान ली और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक चीनी मिलों में रजनीश त्यागी की फर्म ओम एंटरप्राइजेज ‘हर संभव तरीके’ का प्रयोग कर काम हासिल करती चली गई। कितनी ही बार तो इन्हें सिंगल बिड पर कार्य अलॉट हो गया। जब कभी ज्यादा ही जरूरत अन्य फर्मों की भागीदारी की महसूस हुई तो इनकी डमी फर्मों या साझेदारी वाली फर्मों ने खानापूर्ति के लिए बिड में हिस्सा लिया। यही वजह है कि आज 10 में से 7 सहकारी चीनी मिलों में रजनीश त्यागी की फर्म ऑपरेशन्स एंड मेंटेनेंस का कार्य संभाल रही है और करीब 5 साल के अंदर ही ये अपनी फर्म का सैकड़ों करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर चुके हैं।
‘अति मेहनती’ रजनीश त्यागी की आज चीनी मिलों के मामले में इस कदर प्रदेश में चलती है कि कितने ही अफसर इनके ‘हुनर’ के तुरंत ‘कायल’ हो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि त्यागी या इनकी फर्म ओम इंटरप्राइजेज के खिलाफ शिकायतें नहीं हुई, या किसी ने आवाज नहीं उठाई। लेकिन, हर बार मामले को दबा दिया गया। किसी में भी कोई कार्रवाई करने की हिम्मत ही नहीं हुई। जिस अधिकारी ने रजनीश त्यागी को खुद की फर्म बनाकर चीनी मिलों में ‘घुसने’ का रास्ता दिखाया, वे आज भी इनकी रीढ़ के तौर पर पर्दे के पीछे चट्टान की तरह खड़े हैं। यही नहीं, इनके रास्ते में बनने वाली ‘प्रशासनिक अड़चन’ को दूर करने में भी खासी भूमिका निभाते हैं।
कर्मचारियों की कमी बनी त्यागी के लिए ‘वरदान’
प्रदेश की चीनी मिलों में अरसे से नई भर्ती नहीं हुई है। किसी भी मिल के स्थापित होने के साथ ही जो भर्ती हुई थी, वे कर्मचारी धीरे-धीरे रिटायर होने लगे। मिल की जरूरत के मुकाबले कम ही कर्मचारी बचे हुए हैं। सिर्फ इनके सहारे मिल को चलाया नहीं जा सकता। ऐसे में पन्नीवाला मोटा से शिफ्ट होकर आई हैफेड की असंध स्थित चीनी मिल से आउटसोर्सिंग की शुरुआत की गई। इसके बाद किसी मिल में ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी आउटसोर्स कर दी गई तो किसी मिल में मेंटेनेंस का कार्य। देखते ही देखते इस खेल में कुछ अफसरों को भी इस खेल में ‘मजा’ आने लगा और रजनीश त्यागी की ताजा-तरीन बनी फर्म ओम इंटरप्राइजेज पर ‘मेहरबानियां’ शुरू हो गई। इसके बाद तो त्यागी के ‘हुनर’ ने अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अधिकतर चीनी मिल में उनका ‘सिक्का’ चलने लगा।
पारदर्शिता से होता काम अलॉट : एमडी
शुगरफेड हरियाणा के एमडी कैप्टन शक्ति सिंह कहते हैं कि चीनी मिलों में स्किल मैनपावर की कमी को दूर करने के लिए कार्य आउटसोर्स किए गए हैं। पारदर्शिता से काम अलॉट होता है। कोई कमी होती है तो संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई भी करते हैं।
हरियाणा की सहकारी चीनी मिलों के किंग के तौर पर प्रसिद्ध रजनीश त्यागी (मैसर्ज ओम एंटरप्राइजेज) सही मायने में शतरंज की चौसर पर मोहरे चलने की तरह असल जिंदगी में भी पूरा माहिर है। प्रदेश के असफरों को यह बिल्कुल शतरंज के ‘प्यादे’ की तरह समझता है। अपने खास ‘हुनर’ के कारण जो मन में आए, वही कार्य अफसरों से करवा लेता है। कभी इन्हीं अफसरों की बदौलत फर्जी अनुभव के आधार पर काम हासिल कर लेता है तो घाटे वाले कार्य को रद्द कराने में कामयाब हो जाता है। लेकिन, पेनल्टी न भरने का रास्ता भी मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज (रजनीश त्यागी) आखिर ढूंढ ही लेता है।
रजनीश त्यागी की कार्यशैली के किस्से तो प्रदेश की हर उस चीनी मिल से निकल कर आ रहे हैं, जहां भी इनकी फर्म ने काम किया है या फिर कर रही है। लेकिन, पलवल व कुरुक्षेत्र की शाहबाद चीनी मिल के दो अजीब किस्से हर किसी की जुबान पर हैं। सिर्फ जुबान ही नहीं, इनकी शिकायत भी हुई, लेकिन कुछ आईएएस अफसरों के कथित ‘आशीर्वाद’ के चलते अभी तक प्रदेश सरकार इनका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकी। दरअसल, इसे संयोग भी कहा जा सकता है, कि रजनीश त्यागी की फर्म के पलवल व शाहबाद में कारनामे के वक्त डीसी के तौर पर नेहा सिंह ही मौजूद थीं।
एक व्यक्ति की शिकायत पर पलवल चीनी मिल में रजनीश त्यागी की फर्म द्वारा ऑपरेशन्स एंड मेंटेनेंस का काम हासिल करने के लिए फर्ज अनुभव के कागजात लगाए जाने की जांच शुरू हुई। जांच में आरोप सही पाए गए, लेकिन सीएम विंडो पर लंबित एक अन्य जांच का हवाला देते हुए इस जांच को रोक दिया गया। इसके विपरीत यमुनानगर निवासी एक शिकायतकर्ता को बार-बार पलवल बुलाया गया, ताकि वह परेशान होकर रजनीश की फर्म के खिलाफ शिकायत की पैरवी करनी ही बंद कर दे।
प्रदेश सरकार को भेजी एक अन्य शिकायत में आरोप तो यहां तक हैं कि पलवल में डीसी रहते हुए नेहा सिंह ने किसी ‘विशेष’ कारण के चलते बतौर अध्यक्ष, निदेशक मंडल की हैसियत से ओम इंटरप्राइजेज को प्रदेश सरकार द्वारा तय टेंडर की शर्तों को दरकिनार करते हुए चीनी मिल के ऑपरेशन्स एवं मेंटेनेंस का काम काफी ऊंचे दाम पर दे दिया था। जिसकी वजह से चीनी मिल को बड़ा वित्तीय नुकसान भी हुआ। इसी पलवल चीनी मिल में नेहा सिंह ने नियमों के विरुद्ध शुगर सेल मैनेजर को रिटायरमेंट के बाद दो साल की एक्सटेंशन भी दे दी थी। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि यह सब रजनीश त्यागी के अनुरोध पर उनकी फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए ही किया गया। इसकी शिकायत भी राज्य सरकार तक पहुंची, और यह सब पलवल चीनी मिल में ऑन रिकॉर्ड आज भी उपलब्ध है, जिसकी निष्पक्ष जांच प्रदेश सरकार कभी भी करवा सकती है।
वहीं, शाहाबाद चीनी मिल का मामला टटोला गया तो कई सनसनीखेज खुलासे रजनीश त्यागी व उनकी फर्म मैसर्स ओम इंटरप्राइजेज को लेकर होते हुए नजर आए। यहां इन्होंने एथनॉल प्लांट को चलाने का कार्य अपनी ‘सांठगांठ’ के चलते अलॉट करवा लिया, लेकिन अनुभव न होने के कारण ये प्लांट को चला ही नहीं सके। फिर इन्होंने इस प्लांट का ठेका रद्द कराने के लिए ‘भागदौड़’ शुरू कर दी। सिर्फ जनवरी व फरवरी महीने में रजनीश त्यागी डीसी कुरुक्षेत्र नेहा सिंह से उनके ऑफिस/कैंप ऑफिस में 6 बार मिलने गए। इन मुलाकात में अंदर क्या हुआ, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन अंतत: घाटे का सौदा बने एथनॉल प्लांट का इनका टेंडर जरूर ‘रद्द’ कर दिया गया। लेकिन, हैरानी की बात तो यह है कि इसके साथ ही रजनीश त्यागी की फर्म पर ढाई करोड़ रुपये पेनल्टी भी लगाई गई, लेकिन इन्होंने तो टेंडर के साथ जरूरी सवा करोड़ की बैंक गारंटी दी ही नहीं थी। किसी तरह मामले को दबाने के लिए बाद में 25 लाख रुपये की बैंक गारंटी जमा भी करा दी गई, जिसे बैंक में जमा कराने पर फर्जी करार दे दिया गया। यानी, सब कुछ इतना आसानी से हो गया और शुगरफेड भी हाथ पर हाथ धरे तमाशबीन बना रहा। हालांकि, कुरुक्षेत्र की चीनी मिल में रजनीश त्यागी के लिए रेड कारपेट बिछाने वाली ‘जोड़ी’ अब करनाल मिल में है। ऐसे में करनाल, रोहतक समेत अन्य चीनी मिलों के किस्से तो अभी बाकी हैं।
पलवल व कुरुक्षेत्र जिले की चीनी मिल में रजनीश त्यागी व उनकी फर्म को फायदा पहुंचाने के आरोप/मुलाकात का जवाब जानने के लिए डीसी कुरुक्षेत्र नेहा सिंह को व्हाट्सऐप पर कुछ सवाल भेजे गए, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
( अजय दीप लाठर, लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक की फेसबुक वॉल से ।)
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–आगे की जानकारी कल पार्ट – 2 में —
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