मुख्तार अंसारी की साधारण मौत या शत्रुतापूर्ण राजनीतिक हत्या
उत्तर प्रदेश: बांदा जेल में बंद गैंगस्टर और पूर्व विधायक मुख़्तार अंसारी की मौत
बांदा मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, बांदा की जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख़्तार अंसारी को अचेतावस्था में अस्पताल पहुंचाया गया था, जहां दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. अंसारी के परिजनों द्वारा लगातार जेल में उनकी जान को ख़तरा होने की बात कही जा रही थी.Ordinary death or hostile political murder of Mukhtar Ansari

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने 63 वर्षीय मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात बांदा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.
अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार (दो बार बसपा उम्मीदवार और तीन बार निर्दलीय के रूप में) पूर्व विधायक रहे थे. उनके खिलाफ 65 आपराधिक मामले लंबित थे. उन्हें सितंबर 2022 से अब तक आठ मामलों में यूपी की विभिन्न अदालतों द्वारा सजा सुनाई गई थी और वर्तमान में वे बांदा जेल में बंद थे.
एक मेडिकल बुलेटिन में बताया गया है कि गुरुवार शाम को उन्हें उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में जेलकर्मियों द्वारा बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन विभाग में करवाया गया था, जहां उन्हें नौ डॉक्टरों की एक टीम द्वारा तत्काल इलाज दिया गया. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद दिल का दौरा पड़ने के कारण मरीज की मौत हो गई.
वहीँ दूसरी तरफ टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पिछले हफ्ते मुख्तार के वकील रणधीर सिंह सुमन ने बाराबंकी की एक अदालत में दायर एक अर्जी में उचित चिकित्सा जांच की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया गया था कि बांदा जेल के कर्मचारियों द्वारा उन्हें ‘धीमा जहर’ दिया जा रहा है.
उनके भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी मंगलवार को अस्पताल पहुंचे थे और आरोप लगाया था कि उनके भाई को जेल में जहर दिया गया है.
इससे पहले भी उनके परिजनों द्वारा उनकी जान को खतरा होने की बात दोहराई जाती रही थी.मुख्तार अंसारी के परिवार ने दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार बांदा जेल में उनकी हत्या करने की योजना बना रही है.
अपनी याचिका में मुख्तार के बेटे उमर ने आदित्यनाथ सरकार पर अंसारी के खिलाफ ‘शत्रुतापूर्ण रुख’ अपनाने और जेल में रहने के दौरान उन्हें खत्म करने के लिए ‘बड़ी साजिश’ रचने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया था कि अंसारी की जान को खतरे की आशंका मुख्तार को मिली ‘विश्वसनीय जानकारी’ पर आधारित है और बांदा जेल में उसकी हत्या करने के लिए राज्य सरकार द्वारा साजिश रची जा रही है.
उनका कहना था कि 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या- जिसमें मुख्तार को 2023 की शुरुआत में संबंधित मामले में दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई थी- में आरोपी कई लोगों को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल ने समान परिस्थितियों में मार डाला था.
उन्होंने आगे कहा था कि राय की हत्या के आरोपियों में से चार की पहले ही हत्या कर दी गई है. जहां एक आरोपी फिरदौस को 2006 में एसटीएफ ने मार गिराया था, वहीं प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की 2018 में एक अन्य दोषी गैंगस्टर सुनील राठी द्वारा बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या से एक सप्ताह से अधिक समय पहले बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने उसी साल 29 जून को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि यूपी पुलिस कुछ नेताओं और अधिकारियों के साथ मिलकर उन्हें जेल के बाहर ‘फर्जी मुठभेड़’ में खत्म करने की साजिश रच रही है. सिंह ने यह भी दावा किया था कि झांसी जेल में रहने के दौरान उनके पति को जहर देने की कोशिश की गई थी.
मुख्तार अंसारी 15 साल की उम्र में ही क्राइम को बना लिया था महबूबा, 36 साल तक नाम से थर्राता रहा इलाका
Mukhtar Ansari: A Career in Crime and Politics: मुख्तार अंसारी बेहद संभ्रात परिवार में पैदा होने के बावजूद मुख्तार अंसारी ने 15 साल की उम्र में ही क्राइम को अपना महबूबा बना लिया. पूर्वी उत्तर प्रदेश में सरकारी ठेके और फिरौती के जरिए अपने रसूख को बढ़ाते-बढ़ाते मुख्तार अंसारी ने 36 साल तक अपना दबदबा कायम रखा. लेकिन अंत भी बहुत दर्दनाक हुआ. उनपर 65 मामले दर्ज हुए और पिछले कई सालों से वह देश के विभिन्न जेलों का चक्कर काट रहे थे. अंत में जेल में ही उनकी मौत हुई और अपराध की एक दुनिया का अंत हो गया. यहां सिलसिलेवार तरीके से जानिए उसके काले करतूत का कारनामा..
15 साल में कानून के साथ पहला मुठभेड़
मुख्तार अंसारी का जन्म देश के बेहद संभ्रात परिवार में 1963 में हुआ था. उनके दादा डॉ. एम ए अंसारी थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों के अध्यक्ष बने. इतने बड़े परिवार में मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ लेकिन 15 साल की उम्र में ही मुख्तार अंसारी ने अपराध की काली दुनिया में दाखिला ले लिया. कानून के साथ उनकी पहली मुठभेड़ तब हुई जब उन पर गाजीपुर के सैदपुर पुलिस स्टेशन में आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया गया. इसके अगले 10 सालों तक वे मऊ और आसपास के इलाके का कुख्यात अपराधी बन चुका था. यानी 25 साल की उम्र तक उसने पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के अपने आपराधिक दबदबे में ले लिया. इसके साथ ही वह कई सरकारी ठेके लेने लगे और माफिया सर्किल का बेताज बादशाह बन गया.
1996 में पहली हत्या का मुकदमा
एक दशक बाद 1986 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ गाजीपुर के मुहम्मद पुलिस स्टेशन में मर्डर का मुकदमा दायर हुआ. इसके बाद अंसारी इतने तरह के अपराध करने लगे कि इसकी गिनती भी नहीं की जा सकती है. अगले एक दशक यानी 1996 तक उनपर हत्या, अपहरण सहित गंभीर आरोपों के तहत उनपर 14 और मामले दर्ज हुए. मुख्तार अंसारी का क्रमिनल ग्राफ बढ़ता ही चला गया. दिलचस्प बात यह है कि इतना बड़ा अपराधी होने के बावजूद मुख्तार अंसारी को राजनीति में आने में कोई परेशानी नहीं हुई. यह वह दौर था जब उत्तर भारत की राजनीति में अपराध घुलमिल चुका था.
33 साल की उम्र में पहली बार विधायक
मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में 33 साल की उम्र में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक बने. लेकिन इसके बाद 2002 और 2007 में अंसारी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मऊ से यूपी विधानसभा के लिए चुने गए. 2012 में उसने अपनी पार्टी कॉमी एकता दल बना ली और मऊ से फिर विधायक बने. 2017 में एक बार फिर अंसारी इसी सीट से जीत गए. 2022 के यूपी विधानसभा के चुनाव में मुख्तार अंसारी ने यह सीट अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए छोड़ दी और अब्बास अंसारी इस सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से विधायक भी हैं. हालांकि अब्बास अंसारी भी जेल में बंद है.
यूपी के वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष के भाई की मौत में उम्रकैद
मुख्तार अंसारी किसी को नहीं बख्शते थे. 3 अगस्त 1991 को जब अवधेश राय और उनके भाई अजय वाराणसी के लहुराबीर इलाके में अपने घर के बाहर खड़े थे, तब अवधेश राय को गोलियों से भून दिया गया था. इस मामले में पांच जून, 2023 को वाराणसी की एक अदालत ने मुख्तार अंसारी को आजीवन कारवास की सजा सुनाई थी. अजय राय आज यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं.
बीजेपी नेता कृष्णानंद राय पर 500 राउंड गोलियां
यह वह समय था जब पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी के नाम से ही लोग थर्राने लगते थे. 2002 के विधानसभा चुनाव में अंसारी के प्रभाव वाले मोहम्मदाबाद सीट से अफजाल अंसारी को उतारा गया लेकिन पहली बार अंसारी बंधुओं को इस इलाके में चुनौती मिली और वह चुनौती कोई और नहीं बल्कि कृष्णानंद राय ने दी. राय बीजेपी से विधायक बने. राजनीति रसूख के इस मात को अंसारी बंधुओं ने बर्दाश्त नहीं किया और 29 नवंबर 2005 को जब कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उदघाटन कर लौट रहे थे तभी एक संकरी रास्ते पर उनके काफिले पर ताबड़तोड़ गोलियों बरसाई गई. कहा जाता है कि इसमें एक-47 से 500 के करीब गोलियां चलाई गईं. कृष्णानंद राय और 7 अन्य की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. इस सनसनीखेज हत्याकांड से पूरा पूर्वांचल थर्रा गया.
हर तरफ मुकदमे ही मुकदमे
जब मुख्तार अंसारी के बुरे दिन की शुरुआत हुई तो उनपर हर तरह से मुकदमे ही मुकदमे होते चले गए. 2005 से अब तक मुख्तार अंसारी यूपी और पंजाब के जेल में बंद रहे. 2005 के बाद अंसारी पर 28 आपराधिक केस दर्ज किए गए जिनमें हत्या, फिरौती और गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है. सितंबर 2022 से मुख्तार अंसारी 8 विभिन्न आपराधिक केस में दोषी साबित हो चुके थे जबकि 21 केस में उनपर सुनवाई चल रही थी. 37 साल पहले अंसारी ने जिस फर्जी हस्ताक्षर पर हथियार का लाइसेंस बना लिया था, उस मामले में पिछले महीने ही उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 15 दिसंबर 2023 वाराणसी के सांसद, विधायक कोर्ट ने महावीर प्रसाद रुंगटा को जान से मारने की धमकी देने के मामले में साढ़े पांच साल की सजा सुनाई थी. कई मामलों में अगले कुछ महीनों में ही फैसला होने वाला था. (इनपुट-पीटीआई)
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