====क़िस्त -2 हरियाणा चीनी किंग ====
ये हरियाणा है जनाब
रजनीश त्यागी और दीपक खटोर की जोड़ी खेल रही बड़ा खेला
कुरुक्षेत्र, जीरकपुर, तरावड़ी, लाडवा समेत कई शहरों में जम कर खरीदी प्रॉपर्टी
– मित्रों व रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कराई ‘भ्रष्टाचार’ में मिली रकम
जींद, पलवल, कैथल चीनी मिल में नई टेंडरिंग पर ‘अघौषित’ प्रतिबंध
खुद की ‘शर्तों’ पर रजनीश को करनाल मिल का टेंडर अलॉट
अभी खेला जारी है पढ़िए रहिएगा आगे भी बहुत कुछ सामने आएगा
चंडीगढ़ /27 /04 /2025 राजकुमार अग्रवाल /अटल हिन्द
नवंबर 2021 में 263 करोड़ रुपये की लागत से करनाल में स्थापित सहकारी चीनी मिल के ऑपरेशन्स एंड मेंटेनेंस का टेंडर दो साल के लिए हरियाणा की चीनी मिलों के ‘किंग’ कहे जाने वाले रजनीश त्यागी की फर्म मैसर्स ओम इंटरप्राइजेज को बैक डेट में अलॉट कर दिया गया है। टेंडर प्रक्रिया में कोई अन्य फर्म शिरकत न कर सके, इसके लिए बाकायदा रजनीश त्यागी ने अपनी सांठगांठ करते हुए ऐसी ‘शर्त’ को जुड़वा लिया, जिसे सिर्फ और सिर्फ उनकी ही फर्म पूरी कर सकती थी। इसके साथ ही मिल स्थापित करने वाली इस्जेक कंपनी को ऑब्जेक्शन के कारण फंसे पड़े 30 करोड़ रुपये वापस लौटाने की शुरुआत हो गई है।
करनाल सहकारी चीनी मिल का उद्घाटन नवंबर 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया था। इस मिल को इस्जेक कंपनी ने तैयार किया था। उसे ही दो साल तक मिल को चलाना था। मिल तैयार करने में देरी के कारण इस्जेक कंपनी की 13 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी प्रदेश सरकार ने होल्ड कर ली थी, जबकि दो साल तक सही से ऑपरेशन्स न करने की वजह से 7 करोड़ रुपये होल्ड किए गए। मिल निर्माण में स्पेसिफिकेशन को फॉलो न करने पर 10 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भी होल्ड कर दिया गया। इसके बाद इस्जेक कंपनी ने अपने रुपये फंसते देख चीनी मिल से खुद को अलग करने का अंदरूनी फैसला कर लिया। अब करनाल मिल प्रशासन ने कुल रोके गए 30 करोड़ रुपये में से करीब 15 करोड़ रुपये इस्जेक को जारी कर दिए गए हैं और अन्य बकाया 15 करोड़ जारी करने की प्रक्रिया मिल में चल रही है, जिसे नियमों के विपरीत माना जा रहा है। क्योंकि, जिस राशि को पूर्व में रोक लिया गया था, उसे सरकार की जानकारी में लाए बिना जारी करना संदेह के घेरे में गिना जाता है।
करनाल मिल ने इसके साथ ही रजनीश त्यागी की मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज को मिल को चलाने का टेंडर ऐसी शर्त के फाइनल कर दिया, जिसे आज तक शुगरफेड या सहकारिता विभाग की ओर से शर्तों में स्थान ही नहीं दिया गया है। ओम एंटरप्राइजेज ने पिछले साल किसी तरह से करनाल मिल में एंट्री पा ली थी। ऐसे में टेंडर में शर्त जोड़ दी गई कि जिस फर्म ने करनाल मिल में कार्य किया है, उसे ही यहां काम अलॉट किया जाए। इससे सीधा फायदा रजनीश त्यागी की फर्म को हुआ, क्योंकि सवा तीन साल पुरानी इस मिल में कोई अन्य तीसरी फर्म अभी तक काम कर ही नहीं पाई थी। साल 2023 में त्यागी की फर्म को यहां दिए गए टेंडर और इस बार के टेंडर नियमों में बदलाव बड़े ‘खेल’ की ओर ईशारा कर रहे हैं। सूचना मिली है कि रजनीश त्यागी ने अपने अघौषित पार्टनर दीपक खटोर के मार्फत परिस्थितियों को अपने ‘अनुकूल’ करते हुए दो साल के लिए 15 करोड़ रुपये में करनाल चीनी मिल का टेंडर ले लिया है।
शाहबाद के ‘खेल’ में भी दीपक खटोर
करनाल चीनी मिल के एमडी इस समय राजीव प्रसाद हैं और यहां पर सीएओ दीपक खटोर (सीए) हैं। इस्जेक की रोकी गई पेमेंट भी इन्होंने ही जारी की है और ओम इंटरप्राइजेज को अगले दो साल के लिए टेंडर भी इन्होंने ही फाइनल किया है। ये दोनों ही अधिकारी जब शाहबाद चीनी मिल में एक साथ तैनात थे, तो वहां पर रजनीश त्यागी की फर्म को इन्होंने ही एथनॉल प्लांट को चलाने का कोई भी अनुभव न होने के बावजूद ऑपरेशन्स एंड मेंटिनेंस का टेंडर दे दिया था, जो बाद में रद्द भी हुआ। शाहबाद मिल में इनके कार्यकाल के दौरान खेले गए खेल व करनाल मिल में इनकी कारगुजारियों की शिकायत बाकायदा प्रदेश सरकार तक भी गई। दीपक खटोर शाहबाद मिल की विभिन्न स्तर पर हुई जांच में दोषी भी ठहराए जा चुके हैं। वहीं, करनाल में टेंडर की मनमानी शर्तों का मामला भी चंडीगढ़ तक गूंज चुका था। प्रदेश की चीनी मिलों में दीपक खटोर की कार्यप्रणाली, आचरण, निष्ठा पर कितनी ही जांच रिपोर्ट सवालिया निशान लगा चुकी हैं।
नियम व प्रक्रिया के तहत कार्य : एमडी
करनाल चीनी मिल के एमडी राजीव प्रसाद का कहना है कि मैं नियमों एवं प्रक्रियाओं के अंतर्गत पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के साथ कार्य करता हूं। मेरे ऊपर पर लगे किसी भी आरोप में कोई सच्चाई नहीं है।
किंग बने रजनीश त्यागी की कथित ‘सैटिंग’ का जाल चीनी मिलों से लेकर शुगरफेड तक फैला हुआ है। यही कारण है कि इनके खिलाफ कोई भी आवाज उठने से पहले ही ‘शांत’ कर दी जाती है। यह त्यागी की ‘सैटिंग’ का ही परिणाम है, जो जींद, पलवल, कैथल की चीनी मिल के ऑपरेशन्स एवं मेंटेनेंस के टेंडर जारी होने पर ‘अघौषित प्रतिबंध’ सा लगा हुआ है। इन चीनी मिलों में रजनीश त्यागी की फर्म मैसर्स ओम इंटरप्राइजेज को लगातार सालों से काम अलॉट होता आ रहा है।
जींद चीनी मिल का टेंडर लगातार 4 साल से रजनीश त्यागी की फर्म के पास है। यहां पिछले तीन साल में तो एक बार भी टेंडर तक नहीं किया गया। वहीं,
कैथल चीनी मिल
में त्यागी की फर्म तीन साल से कार्य कर रही है और दो साल से नए सिरे से कोई टेंडर ही नहीं हुआ है। जींद व कैथल की चीनी मिल में नए टेंडर न कराने की बजाए त्यागी की फर्म को हर साल काम एक्सटेंड करने का ‘खेल’ चल रहा है। दोनों मिल में हर साल अपने रेट में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी त्यागी खुद करवा लेता है। मिल अगर नए सिरे से टेंडर करने लगे तो अन्य फर्म आकर प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकती हैं, लेकिन ऐसा न हो, इसके लिए रजनीश त्यागी व करनाल मिल के सीएओ दीपक खटोर की जोड़ी तुरंत ‘मोर्चा’ संभाल लेती है।
जैसा कि हरियाणा की चीनी मिलों में त्यागी व खटोर के ‘रिश्ते’ किसी से छिपे नहीं हैं और एक सरकारी एजेंसी की जांच में साबित भी हो चुका है कि खटोर के किन-किन मित्रों व रिश्तेदारों के खातों में ट्रांजेक्शन हुई है, उसके बदले खटोर त्यागी की राह में आने वाले ‘कांटों’ को साफ करता है। खटोर ही वह खिलाड़ी है, जो ओम इंटरप्राइजेज के फेवर में ‘डॉक्यूमेंट’ तैयार करता है। शूगरफेड के नियमों के विपरीत डॉक्यूमेंट तैयार करना दीपक खटोर को बखूबी आता है। इसके अलावा किसी भी चीनी मिल से जब कभी भी कुछ पूछा जाता है तो उसकी रिप्लाई भी खटोर ही तैयार करता है, ताकि अपने अघोषित पार्टनर रजनीश त्यागी को हर संभव फायदा पहुंचा सके।
जींद चीनी मिल की इंजीनियरिंग विंग का एक अधिकारी (एम.) मिल की बजाए ऑपरेशन्स एवं मेंटेनेंस संभालने वाली ओम इंटरप्राइजेज के लिए काम करता अधिक नजर आता है। इस फर्म के किसी भी बिल को न तो कभी रूकने देता है और न ही किसी तरह का ऑब्जेक्शन लगने देता है। वहीं, जब-जब रजनीश त्यागी की फर्म को लेकर कोई भी सवाल उठने लगता है कि उससे बचने का रास्ता दीपक खटोर ही दिखाना शुरू कर देता है। यही नहीं, किस अफसर के पास त्यागी को ‘किस तरीके’ से जाना चाहिए, यह भी खटोर ही ‘तय’ करता है।
दूसरी मिलों पर टेंडर रिन्यूअल की लगवाते बंदिश’
जिन चीनी मिलों का काम त्यागी की फर्म के पास नहीं है, वे चीनी मिल अपने कॉन्ट्रेक्टर का पिछले साल के रेट पर भी टेंडर एक्सटेंड नहीं कर पा रही हैं। इसका उदाहरण महम व सोनीपत की चीनी मिल हैं। सोनीपत मिल अपने 2 साल पुराने रेट के मुकाबले डेढ़ करोड़ रुपये कम रेट पर कार्य करवा रही है, लेकिन वर्क ऑर्डर को और आगे नहीं बढ़वा पा रही है। ऐसे ही पहले के मुकाबले 40 लाख रुपये कम भुगतान कर कार्य कराने वाली महम चीनी मिल भी बिना किसी रेट बढ़ोतरी के मौजूदा दाम पर ही वर्क ऑर्डर को एक्सटेंड नहीं कर पा रही है। इन दोनों मिल को ऐसा करने से रोकने के लिए त्यागी-खटोर की जोड़ी पूरी ‘सक्रिय’ है।
पलवल में शुगरफेड के नियम ताक पर, एक और काम सौंपा
करनाल चीनी मिल तो टेंडरिंग के नाम पर रजनीश त्यागी का पक्ष लेने के चक्कर में सभी की आंखों में ताज़ातरीन धूल झोंक चुकी है। जबकि, पलवल चीनी मिल में तत्कालीन डीसी नेहा सिंह ने शुगरफेड के नियमों को ताक पर रखते हुए मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज के पक्ष में गलत तरीके से ऑपरेशन्स एंड मेंटेनेंस के काम का टेंडर एक्सटेंड कर दिया था। यह मामला मौजूदा डीसी डॉ हरीश कुमार वशिष्ठ के संज्ञान में भी आया, लेकिन इसी फर्म को उन्होंने भी 18 लाख रुपये का मैन्युफैक्चरिंग डिपार्टमेंट की मेंटेनेंस का टेंडर जारी करवा दिया। पलवल चीनी मिल में इसी फर्म को अब अगले साल के लिए वर्क ऑर्डर फिर से देने की अंदरखाने तैयारी चल रही है। उधर, डीसी पलवल डॉ हरीश कुमार वशिष्ठ ने कहा कि वे मीटिंग में हैं, इस बारे में पता करवाएंगे।
रजनीश त्यागी व उनकी फर्म मैसर्ज ओम इंटरप्राइजिज की कामयाबी के सफर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दीपक खटोर ने भी इस दौरान बड़ी आर्थिक ग्रोथ हासिल की। कुरुक्षेत्र, जिरकपुर, तरावड़ी, लाडवा समेत कई शहरों में इन्होंने जमीनों में खासा ‘निवेश’ किया। इसे दीपक खटोर की ‘दिलेरी’ ही कहा जाएगा, जो इन्होंने अपने मित्रों व करीबी रिश्तेदारों के बैंक खातों में ही भ्रष्टाचार में मिली रकम को सीधे ‘ट्रांसफर’ करवा लिया। दीपक खटोर फिलहाल करनाल चीनी मिल में सीएओ हैं और इन्हें रजनीश त्यागी का अघौषित पार्टनर माना जाता है।
दीपक खटोर की अधिकतर नौकरी रोहतक, शाहबाद व करनाल चीनी मिल की रही है, लेकिन प्रदेश की अन्य सहकारी चीनी मिलों में भी ये खासा ‘रसूख’ रखते हैं। रजनीश त्यागी की फर्म के लिए जरूरी कागजी कार्रवाई से लेकर उनके ‘भंवर’ में फंसने की संभावनाओं के दौरान उन्हें ‘डूबने’ से बचाने में इनकी भूमिका सदैव ‘संकटमोचक’ वाली रहती है, ऐसी चीनी मिलों व शूगरफेड में आम चर्चा है। दीपक खटोर शाहबाद चीनी मिल रहे तो कुछ ज्यादा की ‘सुर्खियां’ हासिल कर गए। इनके खिलाफ प्रदेश की एक महत्वपूर्ण एजेंसी ने जांच भी की, जिसमें इनके खिलाफ लगाए गए ज्यादातर आरोप सिद्ध भी हो गए। इन आरोप के आधार पर इन्हें सस्पेंड भी किया गया, लेकिन ये ‘ऊपरी’ जुगाड़ के कारण फिर से बहाल हो गए और डेपुटेशन पर करनाल चीनी मिल पहुंचने में कामयाब हो गए। इसके बाद यहां आते ही इन्होंने रजनीश त्यागी व उनकी फर्म मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज के लिए फिर से ‘गुल’ खिलाने शुरू कर दिए।
शाहबाद चीनी मिल में दीपक खटोर के ‘कारनामों’ की कई बार शिकायतें प्रदेश सरकार तक पहुंची। जिनमें से कुछ पर संज्ञान लेते हुए अलग-अलग जांच भी हुई। साल 2019 में शाहबाद चीनी मिल में कार्य की एवज में दीपक खटोर की रिश्वत मांगने की एक ऑडियो भी वायरल हुई, जो फिलहाल हमारे पास मौजूद है। इसमें खटोर कंप्यूटर की तरह काफी तेजी से हिसाब किताब लगाता हुआ सुनाई देता है और एक अन्य ऑडियो में वह मिल के स्टाफ को एक नए सप्लायर से रिश्वत लेने के ‘गुर’ सिखाता हुआ सुनाई देता है। बाकायदा यह कहता सुनाई देता है कि रिश्वत की राशि को लिफाफे में बंद करके उनके दफ्तर में पहुंचाना है और नया सप्लायर होने के नाते रिश्वत का पैसा एडवांस में ही देना होगा। वहीं, शाहबाद चीनी मिल में 22 करोड़ रुपये के बीमा घोटाले में भी दीपक खटोर की संलिप्तता सिद्ध हो चुकी है।

प्रदेश सरकार की एक एजेंसी की जांच में यह साबित हो चुका है कि मिल के सीएओ दीपक खटोर, जो खुद सीए भी हैं, ने गलत तरीके से बाहर की सीए फर्म को हायर किया। यह सीए फर्म कोई और न होकर इनके दोस्त सुमित निरंकारी की थी। इसके खातों में समय-समय पर ट्रांजेक्शन भी हुई हैं। इसके अलावा साले अनुज सोमानी, अपनी माता, ससुर, पत्नी, पूर्व ड्राइवर (खाताधारकों की निजता बरकरार रखने के लिए उनके नाम का खुलासा नहीं कर रहे) के खातों में भी जमकर ट्रांजेक्शन की गई, जिन्हें भ्रष्टाचार की ‘कमाई’ माना जा रहा है।
एक जांच रिपोर्ट बताती है कि साल 2018 से 2022 के दौरान दीपक खटोर पर लक्ष्मी माता इतनी मेहरबान रही कि इन्होंने एक दर्जन से अधिक प्रॉपर्टी की खरीद अपने, अपनी पत्नी व अन्य परिजनों के नाम पर की। इसके साथ ही दीपक खटोर के ज्यादातर कार्यों में ‘जोड़ीदार’ माने जाने वाले एक एचसीएस अधिकारी ने भी कई जगहों पर प्रॉपर्टी खरीदी। जिसमें फार्म हाउस, विला आदि भी शामिल रहे। माना जा रहा है कि यह खरीदारी भी भ्रष्टाचार की काली कमाई से हुई। इनकी दीपक खटोर के साथ ‘मित्रता’ व ‘पोस्टिंग’ के किस्से खासे चर्चित हो रहे हैं। हरियाणा की चीनी मिलों में ओम इंटरप्राइजेज के सभी टेंडर, इसके मालिक रजनीश त्यागी व सीएओ दीपक खटोर के आपसी संबंधों की जांच राज्य सरकार किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराए तो पिछले 5 साल के दौरान का बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। जिसमें कुछ आईएएस व एचसीएस अफसरों की भागीदारी भी सामने आएगी, जिन्होंने शुगरफेड के नियमों को ताक पर रखते हुए चीनी मिलों में निजी स्वार्थ में संगठित गिरोह की तरह कार्य करते हुए प्रदेश के राजस्व को बड़ी हानि पहुंचाई।
रजनीश त्यागी के ‘अघौषित’ पार्टनर व करनाल चीनी मिल के सीएओ दीपक खटोर इनके खिलाफ उठे अधिकतर मामलों की जांच में दोषी साबित हो चुके हैं। इसके बावजूद इनकी ‘कुर्सी’ आज भी बरकरार है। शूगरफेड के अफसरों के ‘आशीर्वाद’ के चलते ये न सिर्फ अपनी ‘कुर्सी’ बचाने में कामयाब बने हुए हैं, बल्कि रजनीश त्यागी की फर्म मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज के हक में नीतिगत ‘फैसले’ भी करवा रहे हैं। ऐसे में दीपक को चीनी मिलों का स्टाफ ‘दीमक’ कहने लगा है, क्योंकि इन पर आरोप है कि ये निजी फायदे के लिए धीरे-धीरे उन्हीं चीनी मिलों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं, जहां से इन्हें बतौर सीएओ मासिक तनख्वाह भी मिलती है।
दरअसल, दीपक खटोर के खिलाफ 6 मार्च 2025 को शाहबाद चीनी मिल के निदेशकों की जांच कमेटी ने पुलिस में केस दर्ज कराने की संतुति प्रदान की, लेकिन आज तक पुलिस ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं है। कमेटी ने खटोर को एक महिला कर्मचारी के संगीन आरोपों के चलते POSH अधिनियम (कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं समाधान) अधिनियम, 2013) के तहत जांच की थी। इसके अलावा चीनी मिल की एक ट्रेनी ने भी दीपक खटोर के खिलाफ शूगरफेड को POSH अधिनियम के तहत ही शिकायत दी, जिसकी अभी तक जांच मुकम्मल नहीं हुई है। यानी, ये दोनों ही मामले संगीन अपराध की श्रेणी में आते हैं, जिनमें से एक में खटोर दोषी भी करार दिए जा चुके हैं।
एसीएस सहकारिता विभाग के पास पहुंची शाहबाद चीनी मिल में हुए 22 करोड़ रुपये के इंश्योरेंस घोटाले की जांच मिल निदेशकों की कमेटी ने की तो उसमें भी दीपक खटोर को दोषी पाया गया। इसके साथ ही सीएम विंडो पर हुई भ्रष्टाचार की एक अन्य शिकायत को लेकर बनाई गई जांच कमेटी ने भी दीपक खटोर की संलिप्तता पकड़ते हुए भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया। इसी बीच शाहबाद चीनी मिल में ही 60 केपीएलडी एथनॉल प्लांट के ऑपरेशन एंड मेंटिनेंस के टेंडर की परफॉर्मेंस गारंटी जमा न करवाने का दोषी भी जांच कमेटी द्वारा दीपक खटोर को ही ठहराया गया। यह टेंडर खटोर ने अपने ‘अघौषित’ पार्टनर रजनीश त्यागी की फर्म मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज को दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
दीपक खटोर को चीनी मिल सर्विस रूल्स के वॉयलेशन सिद्ध होने पर मेजर पेनल्टी लगाने के लिए चार्जशीट भी जा चुका है, जिसकी जांच फिलहाल चीफ सेक्रेटरी के पैनल वाले जांच अधिकारी आरके शर्मा कर रहे हैं। इसी तरह सीएम फ्लाईंग/सीआईडी भी 21 फरवरी 2023 को दीपक खटोर के खिलाफ जांच रिपोर्ट तैयार कर चुकी है, जिसमें खटोर को बेहिसाब संपत्ति बनाने का दोषी पाया गया। साथ ही रिश्वत मांगने की खटोर की ऑडियो भी जांच में सही पाई गई। इसके आधार पर इन्हें मेजर पेनेल्टी लगाने के लिए चार्जशीट भी किया गया। फिलहाल इस मामले की जांच चीफ सेक्रेटरी के पैनल वाले इंक्वायरी ऑफिसर एसके खरब के पास लंबित है। एक सरकारी चिट्ठी में तो दीपक खटोर को बाकायदा ‘संदिग्ध ईमानदारी का अधिकारी’ (officer of doubtful integrity) कहा गया है। इस बीच एक बार खटोर को सस्पेंड भी किया गया, लेकिन ऊपरी आशीर्वाद के चलते ये स्वयं को तुरंत बहाल कराने के साथ ही करनाल चीनी मिल में प्रतिनियुक्ति कराने में कामयाब भी हो गए। फिर करनाल पहुंच कर रजनीश त्यागी की फर्म को इन्होंने खुलकर ‘मदद’ करनी शुरू कर दी, जिसकी जांच होने पर सरकार को भारी-भरकम रेवेन्यू लॉस की पुष्टि हो सकती है।
रोहतक चीनी मिल में सीखे ‘गुर’
सीए दीपक खटोर ने रोहतक चीनी मिल से बतौर उप लेखा अधिकारी अपनी नौकरी की शुरुआत की। यहीं से खटोर ने वो तमाम ‘गुर’ सीखने की शुरुआत की, जिन्हें अब वे अपनी नौकरी का हिस्सा बना चुके हैं। शूगरफेड के पुख्ता सूत्र बताते हैं कि 2023-24 में इनके पास कुछ समय शूगरफेड के वित्त सलाहकार का भी चार्ज रहा। इस दौरान इन्होंने रजनीश त्यागी और उनकी फर्म से संबंधित सभी शिकायती फाइलों को दबाने में ‘अहम’ भूमिका निभाई। प्रदेश की चीनी मिलों में मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज के रजनीश त्यागी व सीएओ दीपक खटोर की ‘दोस्ती’ की मिसाल दी जाती है। कर्मचारी बाकायदा उदाहरण देते हुए बताते हैं कि एक-दूजे से ‘पार्टनरशिप’ के कारण ही आज दोनों करोड़ों में खेलते हैं। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि वेब सीरीज ‘आश्रम’ में बॉबी देओल अभिनीत ‘पात्र’ को खटोर अपना आदर्श मानते हैं और उसी की तरह अपना ‘जाल’ बिछाते हैं। बकायदा तीन ‘चेले’ साथ रखते हैं, जो ‘शिकार’ में मदद करते हैं। चर्चा तो यहां तक है कि अपने एक चेले से इन्होंने मेवात से सोने की ‘ईंट’ भी मंगवाई थी, जिसे अपने मकान की ‘नींव’ में दबाया हुआ है।(अजय दीप लाठर, लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक की फेसबुक वॉल से )
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