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सर्व पितृ अमावस्‍या : ऐतिहासिक तीर्थ पांडू पिंडारा में श्रद्धालुओं ने किया पिंडदान और तर्पण

सर्व पितृ अमावस्‍या : ऐतिहासिक तीर्थ पांडू पिंडारा में श्रद्धालुओं ने किया पिंडदान और तर्पण
जींद


महाभारत कालीन ऐतिहासिक तीर्थ पांडू पिंडारा में बुधवार को सर्व पितृ अमावस्‍या (Sarva Pitru Amavasya) हजारों श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया तथा पिंडदान करके करके तर्पण किया। सनातन धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है लेकिन अगर किसी को अपने पितरों की पुण्यतिथि याद न हो तो इस स्थिति में सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध किए जाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस बार पितृ पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या पर गजछाया योग बना। इससे पहले ये योग 11 साल पहले 2010 में बना था। ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर मंगलवार को शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था।
क्या है महत्व : पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया।
तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं।

पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा। बुधवार को अल सुबह से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा। इस मौके पर दूर दराज से आएं श्रद्धालुओं ने अपने पितरोंं की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। पिंडारा तीर्थ पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने जमकर खरीदारी की। तीर्थ पर जगह-जगह लोगों ने सामान बेचने के लिए फड़े लगाई हुई थी। जिस पर बच्चों तथा महिलाओं ने खरीदारी की। बच्चों ने जहां अपने लिए खिलौने खरीदे तो वहीं बड़ों ने भी घर के लिए सामान खरीदे।
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