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जब किसी नेता की सियासी मौत आती है तो वह कांग्रेस हाईकमान को आंख दिखाता है।

जब किसी नेता की सियासी मौत आती है तो वह कांग्रेस हाईकमान को आंख दिखाता है।
कांग्रेस हाईकमान को आंख “दिखाना” भूपेंद्र हुड्डा को पड़ेगा भारी
 जी 23 में शामिल होकर गांधी परिवार के विरोध करने का भरना पड़ेगा भारी खामियाजा
 नई दिल्ली। पुरानी कहावत है कि “जब गीदड़ की मौत आती है तो वह गांव की तरफ भागता है”। इसी तरह कांग्रेस में यह बात बार-बार साबित हुई है कि जब किसी नेता की सियासी मौत आती है तो वह कांग्रेस हाईकमान को आंख दिखाता है।

 75 साल में कांग्रेस हाईकमान को आंख दिखाने वाले 98 फिसदी नेताओं को सियासी खतने का अंजाम भुगतना पड़ा है।
इसी कारण हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का गांधी परिवार के विरोधी G-23 ग्रुप में शामिल होना उनकी सियासी “सेहत” के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता।
 गांधी परिवार पर “प्रेशर” बनाने के लिए बनाए गए G-23 के नेताओं में भूपेंद्र हुड्डा “लगातार” सक्रियता दिखा रहे हैं।
 पहले जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद के कार्यक्रम में शामिल होकर हुड्डा ने गांधी परिवार की “खिलाफत” में  G-23 के नेताओं के साथ “जुड़ाव” का ऐलान किया।
 उसके बाद 1 दिन पहले दिल्ली में कपिल सिब्बल की जन्मदिन पार्टी में शिरकत करके भूपेंद्र हुड्डा ने एक बार फिर गांधी परिवार के “विरोध” में अपना नाम दर्ज करवा लिया।
 सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने का “ख्वाब” देख रहे भूपेंद्र हुड्डा के लिए ग्रुप 23 में शामिल होना किसी भी हालत में “शुभकारी” नहीं कहा जा सकता।
गांधी परिवार की खिलाफत करके भूपेंद्र हुड्डा किसी भी सूरत में दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा का सीएम नहीं बना पाएंगे।
 प्रैशर पॉलिटिक्स के जरिए भूपेंद्र हुड्डा 16 साल से हरियाणा कांग्रेस में अपनी मनमर्जी चलाते रहे हैं और इस बार भी वे इसी “फार्मूले” के जरिए हरियाणा कांग्रेसी कमान अपने हाथ में लेना चाहते हैं।
 लेकिन पंजाब में कांग्रेस हाईकमान द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रेशर पॉलिटिक्स को खारिज करके नवजोत सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से पूरा नजारा बदल गया है।
 भूपेंद्र हुड्डा यह सोच रहे थे कि वह भी अमरिंदर सिंह की तरह प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए गांधी परिवार पर “दबाव” बनाकर पहले कुमारी शैलजा को हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद से “हटवाएंगे” और उसके बाद हरियाणा कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेकर बेटे दीपेंद्र हुड्डा को 2024 के चुनाव में हरियाणा का सीएम बनाने का “लक्ष्य” हासिल करेंगे।

भूपेंद्र हुड्डा की यह सोच “सफल” होती नजर नहीं आ रही क्योंकि गांधी परिवार अब प्रेशर पॉलिटिक्स करने वाले नेताओं के “चंगुल” से खुद को बाहर निकालने का फैसला ले चुका है।
 पूरे देश में अब कांग्रेस और गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान नेताओं को ही पार्टी में अहम दायित्व देने का फैसला लिया जा चुका है। ऐसे में भूपेंद्र हुड्डा द्वारा G-23 ग्रुप के नेताओं के साथ खड़ा होना उनके सियासी भविष्य के लिए “घाटे” का सौदा साबित होगा।
  बात यह है कि भूपेंद्र हुड्डा ने एक तरफ जहां बेटे दीपेंद्र को राहुल गांधी की “हाजिरी” मारने के लिए लगा रखा है वहीं दूसरी तरफ खुद G-23 के साथ जुड़कर प्रेशर पॉलिटिक्स के “हथकंडे” को आजमा रहे हैं।
 हुड्डा परिवार का दो नाव में “सवार” होना उनके लिए “आत्मघाती” साबित होने वाला है। दो नाव में सवार होना उन्हें “पार” ले जाने की वजह “डुबोने” का काम करेगा।
 कांग्रेस में प्रैशर पॉलिटिक्स के दिन अब “लद” गए हैं और ऐसे में गांधी परिवार की खिलाफत करके भूपेंद्र हुड्डा बेटे दीपेंद्र को हरियाणा का सीएम नहीं बनवा पाएंगे। हुड्डा गांधी परिवार का विरोध करते हुए हरियाणा कांग्रेस में फिर से अपना दबदबा कायम नहीं कर पाएंगे। अगर भूपेंद्र हुड्डा यह सोचते हैं कि वह गांधी परिवार को आंख दिखाकर हरियाणा कांग्रेस की चौधर हासिल करने का “मकसद” हासिल कर लेंगे तो वह उनकी सबसे बड़ी “गलतफहमी” साबित होगी।
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गगनचुंबी इमारतों के शहर गुरुग्राम में  मजदूर,  बेमौत  मरते मजदूर  !

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