AtalHind
टॉप न्यूज़राजनीतिहरियाणा

भूपेंद्र हुड्डा को 16 साल में सबसे बड़ा  झटका   भूपेंद्र हुड्डा ने दूसरे प्रदेश अध्यक्षों और नेताओं की सूचियों को रुकवाकर हमेशा अपनी “मनमानी” करने का काम किया। 

कांग्रेस हाईकमान ने “निकाल” दिया भूपेंद्र हुड्डा का वहम

16 साल से दूसरे नेताओं की लिस्ट रुकवाने वाले हुड्डा की लिस्ट पर भी लग गया काटा
लिस्ट कैंसिल होने से भूपेंद्र हुड्डा के सुपर पावर होने के दावे के निकली हवा

–राजकुमार अग्रवाल —
चंडीगढ़। अशोक तंवर के बाद कुमारी शैलजा को भी हटवाकर अपने चहेते उदयभान को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी दिलवाने वाले भूपेंद्र हुड्डा को यह “वहम” हो गया था कि वह हरियाणा में “सुपर पावर” हो गए हैं और उनकी “मर्जी” के बगैर पत्ता भी नहीं हिलेगा लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने एक दिन के दो फैसलों से उनकी “हवा” निकाल दी।
कांग्रेस हाईकमान ने सुबह “करारे” झटके में भूपेंद्र हुड्डा परिवार को न तो पॉलिटिकल समिति में शामिल किया और ना ही 2024 की टास्क फोर्स में जगह दी और शाम को भूपेंद्र हुड्डा द्वारा बनवाई गई प्रवक्ताओं की सूची को कैंसिल कर दिया।
2005 में मुख्यमंत्री बनने से लेकर अब तक 16 साल के दौरान भूपेंद्र हुड्डा ने दूसरे प्रदेश अध्यक्षों और नेताओं की सूचियों को रुकवाकर हमेशा अपनी “मनमानी” करने का काम किया।
भूपेंद्र हुड्डा को यह “एहसास” नहीं था कि 1 दिन ऐसा भी आएगा जब उनकी सूची पर भी “काटा” लग जाएगा।
उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद संगठन में पैनलिस्टों और प्रवक्ताओं की पहली सूची भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा ने बड़े अरमानों के साथ बनाई थी लेकिन हाईकमान ने जोरदार झटका देते हुए उनकी लिस्ट को चंद घंटों में कैंसिल कर दिया।
हुड्डा की बनाई सूची का रद्द होना बहुत बड़ा सियासी धमाका है।
इस सूची के रद्द होने से यह साफ हो गया है कि भूपेंद्र हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस में एक तरफा कमान नहीं दी गई है और कांग्रेस हाईकमान के हाथ में अभी भी रिमोट कंट्रोल है।
यह सूची रद्द होने से भूपेंद्र हुड्डा के दबदबे का महल एक ही झटके में ढह गया है।
बात यह है कि भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा ने “जल्दबाजी” में “सिक्सर” लगाने की मंशा के साथ जारी की गई लिस्ट के जरिए खुद को ही “हिटविकेट” कर लिया है।
उदय भान को अध्यक्ष बनाकर भूपेंद्र हुड्डा ने यह साबित कर दिया था कि कांग्रेसी हाईकमान उनके प्रेशर में चल रहा है और हरियाणा में अब वही होगा जो वे चाहेंगे।
भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा को यह लगता था कि उनकी सूची के ऊपर अब कोई सवालिया निशान नहीं लगाएगा और वह जो भी फैसले करेंगे उन्हें हाईकमान से हरी झंडी मिल जाएगी लेकिन पैनलिस्ट और प्रवक्ताओं की सूची को रद्द करके हाईकमान ने यह बता दिया है कि भूपेंद्र हुड्डा को भी “सिस्टम” के तहत ही काम करना होगा और किसी भी नियुक्ति से पहले हाईकमान की “मंजूरी” लेनी होगी।
भूपेंद्र हुड्डा की पहली सूची ही कैंसिल होने से यह साफ हो गया है कि 2024 में उनके या उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा के सीएम बनने की “गारंटी” नहीं है।
अगर कांग्रेस को बड़ा बहुमत मिला तो 2005 की तरह हाईकमान उनको किनारे करके दूसरे नेता को भी सीएम की कुर्सी पर बैठाने का फैसला ले सकता है।
भूपेंद्र हुड्डा के लिए यह सूची रद्द होना बेहद बड़ा सियासी नुकसान है जो उनकी अब तक की प्लानिंग को चौपट कर गया है।

Advertisement

Related posts

पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को दलितों में आती है बदबू: एमएलए जरावता

admin

दोगुणी आमदनी की राह पर चल रहा है खेड़ी गुलाम अली का किसान लखविंदर, 

admin

कैथल पोलिस नहीं बख्शेगी लॉकडाउन  में बेवजह घूमते पाए तो -पोलिस कप्तान

admin

Leave a Comment

URL