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बुजुर्ग हमारी ताकत, बच्चे हमारा भविष्य

Elderly our strength, Children our future
Elderly our strength, Children our future

भारत मूलतः परंपरावादी वैदिक तथा सनातनी देश है पर आधुनिकता ने देश के संयुक्त परिवारों को खंडित कर दिया है। अधिकांश परिवार अब एकल परिवार में परिवर्तित हो गए हैं ऐसे में बुजुर्ग तथा बच्चे सबसे ज्यादा इस त्रासदी के शिकार हुए हैं। आधुनिक जीवन शैली ने माता पिता को नन्हे बच्चों से दूर कर दिया है इसी तरह बुजुर्गों के साथ उनकी संतानों की संवेदनहीनता ने असहाय सा बना दिया है।

बच्चों तथा बुजुर्गों (bachche aur bujurg)को इसी समय सबसे ज्यादा अपने माता पिता तथा संतानों के सहयोग एवं संरक्षण की आवश्यकता महसूस होती है। यदि आधुनिक जीवन शैली के कारण बुजुर्गों तथा बच्चों का उनके अभिभावक एवं पुत्रों पुत्रियों के साथ संवाद हीनता एक बड़ी पीड़ा का कारण बन जाती है।जो बातें हमें हमारे बुजुर्गों,बुजुर्ग लोग, से सीखने को मिल सकती हैं, वो हमें गूगल पर भी नहीं मिलेगी’ इसलिए बच्चे अगर बुजुर्गों के साथ रहें तो उनके व्यवहार में क्या परिवर्तन आता है?

इन्टरनेट तो लोगों को आपस में जोड़ने के लिए लाया गया था. हम जिससे बहुत दूर हैं उन्हें नजदीक लाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाना था. परन्तु इसके विपरीत हम अपने घर परिवार के लोगों से ही दूर होते चले जा रहे हैं. हकीकत ये है कि एक ही घर में सब एक साथ होते हुए भी अपने-अपने स्मार्ट फोन में व्यस्त रहते हैं. वे फेसबुक के लाइक और कमेंट को ही अपनी दुनिया मान चुके हैं. वे सोचते हैं कि बुजुर्ग उनके लिए कोई मायने नहीं रखते हैं, परन्तु उन्हें ये नहीं पता कि जो बाते हमें हमारे बुजुर्ग से सीखने को मिल सकती है, वो हमें गूगल पर भी नहीं मिलेगी.

भारत में सर्वे के अनुसार बुजुर्गों और नौजवान (children and  elderly)पीढ़ी के बीच संवाद हीनता एक चिंताजनक स्वरूप ले चुका हैl बुजुर्ग एकाकीपन से अब मानसिक रोगों के शिकार होने लगे हैं। जिन बुजुर्गों को चलने फिरने और बाहर जाने में परेशानी होती है उनके लिए नौजवान पीढ़ी के साथ संवाद हीनता परेशानी का एक बड़ा सबक बन चुका हैl महिला तथा पुरुष बुजुर्गों के साथ यह समस्या बृहद रूप लेकर सामाजिक समस्या बन गई हैl बुजुर्ग हमारी धरोहर हैं इनका जीवन के हर दृष्टिकोण में संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।

इसी तरह बच्चों को नैतिक तथा बुनियादी शिक्षा देकर उन्हें देश का अच्छा नागरिक बनाने की जिम्मेदारी भी दम पत्तियों पर होती है पर वर्तमान में बच्चे मां बाप से दूर होते जा रहे हैं और बुजुर्ग अपनी संतानों से मोबाइल ,व्हाट्सएप फेसबुक और इंटरनेट ने नौजवान पीढ़ी और बुजुर्गों के बीच एक बड़ा संवादहीनता का संकट पैदा कर दिया है। बुजुर्ग यदि अपने मन की बात किसी से कह नहीं सकेंगे तो उन्हें मानसिक रूप से बीमारी का संकट हो सकता है। नौजवान पीढ़ी को खाली समय में मोबाइल कंप्यूटर में फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम से ही फुर्सत नहीं है(The youth do not have the time to use Facebook WhatsApp Instagram on their mobile computer.)। ऐसे में बुजुर्गों के लिए यह संकट और गहराने का खतरा बढ़ता जा रहा हैl

उल्लेखनीय है कि बुजुर्गों का अनुभव उनका ज्ञान परिवार,समाज तथा देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैl देश की संस्कृति में बुजुर्गों का सम्मान और इज्जत उनकी रक्षा निहित हैl कोरोना की तीसरी लहर से भारतीय समाज में निवास कर रहे बुजुर्गों की बड़ी संख्या को हमें सुरक्षित और महफूज रखना है। वह वट वृक्ष की तरफ हम सबका मार्गदर्शन करते हैं ,अतः हमारा प्रथम कर्तव्य होगा कि हम वृद्धजनों की हर संभव रक्षा कर उनकी इज्जत, तवज्जो करें इसके साथ ही हमें बच्चों तथा नौजवानों की भी रक्षा करनी होगी भारत सरकार की लगातार चेतावनी और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी निर्देशों की अवहेलना अभी भी भारत देश में जारी है

सैकड़ों लोग मौत के मुंह में समा चुके हैंl हमें कोविड-19 के आतंक के साए को भी नहीं भूलना चाहिए।हमे लगातार सावधानी रख कोविड-19 के प्रोटोकॉल का अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस के अनुसार अपना आचरण रखना होगा। अन्यथा कोविड-19 की तीसरी लहर फिर भारत के निवासियों को परेशान कर सकती है।

भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर की शुरुआत बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक हो चुकी है। इसके लिए हमें अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी। मैंने पहले भी कहा था कि कोरोना का केरल हॉटस्पॉट बन चुका है। अब दिल्ली, मुंबई चेन्नई अहमदाबाद तथा पूर्वोत्तर राज्य मैं भी कोविड-19 की तीसरी लहर के आंकड़े डरावने हो गए हैं। कोरोना का डेल्टा वैरीअंट यानी corona की तीसरी लहर हर जगह फैलने लगी है,अब यह संक्रमण भारत के महानगरों में फैलने की आशंका को लेकर आया है

दिल्ली ,मुंबई कोलकाता, अहमदाबाद,चेन्नई से कोविड-19 की तीसरी लहर अपना पैर पसार चुकी है। और यदि आपने अपने चेहरे पर मास्क नहीं लगाया, लगातार हाथ नहीं धोया, लोगों से 2 गज की दूरी नहीं रखी और भीड़ भाड़ में जाने से नहीं बचे, तो निश्चित तौर पर कोविड-19 का डेल्टा वैरीअंट को आने से कोई नहीं रोक सकता है । वैसे भी विश्व में इंडोनेशिया,मलेशिया,थाईलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेंटीना,अमेरिका मैं डेल्टा वैरीअंट के तेजी से हजारों प्रकरण बढ़ते दिखाई दे रहे हैं।
अमेरिका डेल्टा वैरीअंट के संक्रमण का भयानक प्रकोप झेल रहा है।

भारत में भी पूर्वांचल प्रदेशों में मिजोरम,असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा में तीसरी लहर के आसार स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। ब्रिटेन, अमेरिका,और फ्रांस जैसे उच्च शिक्षित देशों के नागरिकों ने लॉकडाउन हटते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का उल्लंघन कर कोविड-19 की तीसरे संक्रमण की लहर को आमंत्रित कर लिया है। अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग के वैज्ञानिक डॉ मूर्ति ने यहां तक कहा कि अमेरिका तथा यूरोपीय देशों को तीसरी लहर के अल्फा बीटा गामा कप्पा और डेल्टा वैरीअंट से बचने के लिए इंजेक्शन का बूस्टर डोज लगाना पड़ेगा, तभी लोगों की जान बच पाएगी।

24 करोड़ आबादी वाला उत्तर प्रदेश अब तक कोरोना की लहर से लड़कर उसे दबाने में काफी हद तक सफल रहा है। खुलेआम पर्यटन स्थलों पर मौज मस्ती करने वाले अमीर लोग अपना इलाज तो आसानी से करवा लेंगे पर सबसे बड़ी मुसीबत गरीब तथा सर्वहारा वर्ग के लिए होगी जि ऐसे में यदि भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर पर्यटन स्थलों में घूमते हुए बेखौफ लोगों से भारत फिर फैलती है, तो आम जनता का जीवन यापन कठिन तथा दुष्कर हो जाएगा। और जिंदगी बचाने के लिए त्राहिमाम त्राहिमाम होने की पूरी संभावना है।

 देश में कोरोना की प्रथम लहर के थोड़े से नियंत्रण में आने के बाद सरकारों और आला अधिकारियों को यह गलतफहमी हो गई थी,कि कोरोना पूरी तरह नियंत्रित हो गया है। और वापस लौटकर नहीं आएगा। इसलिए उन्होंने बाजार, आम सभाएं, शादी समारोह, होटल, टॉकीज,बड़े बड़े मॉल को खोलने की तथा ग्राहकों को आमंत्रित करने की अनुमति दी थी। और नीति निर्माता, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार तथा मंत्रालय में बैठे बड़े-बड़े आला अधिकारियों ने कभी कल्पना ही नहीं की थी कि करोना की दूसरी लहर भी आएगी, और इसी के चलते उन्होंने न तो कोई दूरदर्शी नीति बनाई और ना ही इससे बचने के किसी उपाय पर विचार ही किया ।यह उनकी सबसे बड़ी गलती थी, तथा अदूरदर्शिता भी थी ।

लेकिन कोरोना कि दूसरी लहर ने संक्रमण की जो तबाही मचाई और लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया , अब कोविड-19 की तीसरी लहर भी इसी तरह के संक्रामकता लाने वाली है। यह तीसरी लहर का वेरिएंट बच्चों तथा युवा बुजुर्ग लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा, और इसके कोई लक्षण भी नहीं दिखाई देंगे, कोविड-19 की पहली लहर में संक्रमण दस दिन तक अपने उफान पर रहता था अब दूसरी लहर में 5 दिन में या पूरे शबाब पर आ जाता है, तीसरी लहर में न जाने यह दो या तीन दिन में अपना सर्वाधिक असर दिखाने वाला होगा,

 ऐसे में तीसरा संक्रमण कॉल बहुत ज्यादा डरावना और संक्रमण का होगा,वह दूसरे संक्रमण काल से भी ज्यादा मौत देने वाला होगा। ब्रिटेन की वैज्ञानिक शोध पत्रिका लेसेंट ने बताया कि ब्रिटेन फ्रांस बच्चों के लिए वैक्सीन बनाने में सफल हो गए हैं। एवं ब्रिटेन में बच्चों को वैक्सीनेशन देने की अनुमति देने की तैयारी चल रही है भारत के नौजवान बुजुर्ग और बच्चे बड़ी तादाद में मौजूद हैं उन सब की रक्षा करना हमारा नैतिक दायित्व है। खास तौर पर बुजुर्गों की जो शारीरिक रूप से कमजोर एवं अक्षम होते हैं उनकी तरफ विशेष ध्यान देकर हमें उनकी रक्षा करनी होगी यह हमारा प्रथम दायित्व होगा।

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