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जिला परिषद की चौधर ,मतदान से पहले चंद्र ग्रहण-किसके चेहरे पर होगा नूर कौन सा चेहरा बेनूर

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जिला परिषद की चौधर,मतदान से पहले चंद्र ग्रहण-किसके चेहरे पर होगा नूर कौन सा चेहरा बेनूर

जिला परिषद के वार्ड नो हॉट सीट पर ही टिकी हुई है सभी की नजरें

महिला अनुसूचित वर्ग के वार्ड राजनीतिक परिवारों की महिला उम्मीदवार

भाजपा को इसी वार्ड में मिल भी रही है जबरदस्त चुनौती सहित टक्कर

Atal Hind/फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम । वर्ष 2022 का अंतिम चंद्रग्रहण मंगलवार 8 तारीख को लगेगा । भारतीय सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण का अपना ही एक विशेष महत्व है तथा इसके सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम भी ज्योतिष आचार्यों के द्वारा बताए जाते हैं ,

शास्त्रों सहित धर्म ग्रंथों में भी सूर्य और चंद्र ग्रहण अलग-अलग प्रभाव और इसके दुष्प्रभाव के विषय में जानकारी समाहित है। मंगलवार 8 तारीख 2022को चंद्र ग्रहण है इसके अगले दिन बुधवार 9 तारीख को जिला परिषद प्रमुख पद सहित 10 जिला पार्षद के लिए मतदान होना तय किया गया है । अब ऐसे में जिज्ञासा सहित कोतुहल का विषय सभी चुनाव के उम्मीदवार तथा विजेता होने के दावेदार प्रत्याशियों में भी कहीं ना कहीं महसूस किया जा रहा है ?

Chaudhar of Zilla Parishad
Chaudhar of Zilla Parishad

जिज्ञासा इस बात को लेकर है कि चंद्र ग्रहण के बाद होने वाले मतदान के परिणाम से किस उम्मीदवार के चेहरे पर चांदनी के जैसा नूर होगा और कौन सा चेहरा इस ग्रहण के कारण बेनूर होगा ? सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी के द्वारा पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने के फैसले के बाद से सभी 10 वार्ड में भाजपा के उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के लिए जी तोड़ कसरत करने में जुटे हुए हैं ।

लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं की, कई कारणों से भाजपा के ही घोषित उम्मीदवारों को जबरदस्त चुनौती सहित टक्कर का भी सामना करना पड़ रहा है । इस बात का कई बार इशारों में भी खुलासा किया जा चुका है ।

यही कारण है कि चुनाव प्रचार समाप्त होने से पहले सोमवार को विशेष रूप से भाजपा की पन्ना प्रमुख टीम से लेकर हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह सहित पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता अपने दलबल को साथ लेकर अंतिम समय में पूरी ताकत लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे ।

सबसे अधिक ध्यान अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित जिला परिषद प्रमुख सहित वार्ड नंबर 9 पर ही बना हुआ है । इसका मुख्य यही कारण है जो भी उम्मीदवार अनुसूचित महिला वर्ग के लिए आरक्षित वार्ड से विजेता बनेगा , उसी के सिर पर ही जिला परिषद प्रमुख का ताज भी सजेगा ।

वार्ड नंबर 9 से राजनीतिक परिवारों से संबंध रखने वाली महिलाओं में पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी की पुत्री सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट पर्ल चौधरी , पटोदी पंचायत समिति के पूर्व चेयरमैन दीपचंद की पुत्री दीपाली चौधरी, पटौदी के पूर्व एमएलए रामवीर सिंह की पुत्रवधू अनु पटौदी, विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी रह चुके कंवर सिंह बदरिया की धर्मपत्नी राजबाला सहित सबसे महत्वपूर्ण भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार मधु सारवान और शकुंतला सिंह, सुनील देवी ,संगीता कुमारी के द्वारा अपनी अपनी किस्मत जिला परिषद प्रमुख पद के लिए आज माई जा रही है ।

अनुसूचित महिला वर्ग के लिए आरक्षित वार्ड नंबर 9 में 245026 मतदाता हैं । यहां पर राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो बात कहने में कतई भी परहेज नहीं है कि भाजपा उम्मीदवार को भाजपा नेताओं के समर्थकों के द्वारा ही अपरोक्ष रूप से सीधी चुनौती मिलती हुई दिखाई दे रही है ।

दूसरी ओर सत्ता में भागीदार नायक जनता पार्टी की टिकट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके दीपचंद की पुत्री दीपाली चौधरी और आम आदमी पार्टी के किसान विंग के दक्षिणी हरियाणा प्रभारी पूर्व एमएलए रामवीर सिंह की पुत्रवधू अनु पटौदी के नाम राजनीतिक परिवारों के तौर पर गिने जा सकते हैं । भाजपा को छोड़कर अन्य सभी राजनीतिक परिवारों की महिला उम्मीदवार आजाद प्रत्याशी के तौर पर इस चुनाव में अपने अपने लिए जीत सुनिश्चित करने के वास्ते परिजनों और रिश्ते नातेदारो सहित समर्थकों के सहयोग से अपना चुनाव प्रचार अभियान जारी रखे हुए हैं ।

इसी बीच जो बात सबसे अधिक निर्वाचन क्षेत्र के 27 गांवों के ग्रामीणों और लोगों को कथित रूप से अखर रही है , वह वह बात भाजपा के द्वारा घोषित उम्मीदवार है? इसका मुख्य कारण यह है कि भाजपा के इस घोषित उम्मीदवार की कोई राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं और ना ही कथित रूप से निर्वाचन क्षेत्र के विभिन्न 27 गांवों में अपनी व्यक्तिगत रूप से मजबूत पहचान और पकड़ भी है । यही कारण है कि बीते 2 दिनों से भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं को भाजपा सिंबल पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार के लिए कसरत करते हुए पसीना भी बहाना पड़ रहा है ।

वार्ड नंबर 9 में जीत सुनिश्चित करने के लिए इस बात को कहने में भी कोई संकोच नहीं है कि कुछ उम्मीदवारों के द्वारा जिनका सीधा संबंध सत्ता पक्ष की राजनीतिक प्रतिद्वंदी पार्टी से है, उसी पार्टी के नेताओं के द्वारा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का चुनाव प्रचार के दौरान गुणगान करने सहित नाम लेना एक प्रकार से मजबूरी भी बना हुआ है। जबकि किसी भी बड़े राजनीतिक नेता के द्वारा पंचायती राज व्यवस्था या जिला परिषद के चुनावों में कोई दखल नहीं दिया जा रहा नहीं, न प्रचार के लिए सामने आए हैं।

सबसे अधिक हैरानी सत्ता पक्ष भाजपा को लेकर है ? क्योंकि भाजपा जिला अध्यक्ष भी एक महिला ही है और जिला परिषद प्रमुख पद महिला के लिए आरक्षित है और इस पद पर वही विजेता महिला उम्मीदवार विराजमान होगी जो कि अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित वार्ड नंबर 9 से जीत प्राप्त करेगी । अब यही जिज्ञासा और सवाल गांव में भी लोगों के बीच में महसूस किया जा रहा है या फिर दबी जबान में भी लोग पूछने लगे हैं

जिला परिषद प्रमुख पद महिला के लिए आरक्षित होने के बावजूद और आरक्षित वार्ड 9 से महिला उम्मीदवार के पक्ष या समर्थन में अभी तक टिकट बांटने वाली भाजपा की जिला प्रमुख ही किन कारणों से प्रचार सहित समर्थन मांगने के लिए पहुंचने से कन्नी काटते हुए हैं ? बाहर हाल चुनाव प्रचार का सोमवार को अंतिम दिन है और सभी उम्मीदवारों सहित राजनीतिक परिवारों के सदस्यों के द्वारा अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए कहीं रोड शो किए जा रहे हैं ,

कहीं गली गली मोहल्ले मोहल्ले गांव गांव सैकड़ों समर्थकों के साथ रैलियां निकाली जा रही हैं , यह सब सिलसिला समाचार लिखे जाने तक बना हुआ दिखाई दिया। कुल मिलाकर अभी तक की जो तस्वीर सामने आ रही है , उसमें सबसे अधिक बेचौनी पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने वाली भारतीय जनता पार्टी के खेमे में ही अपने महिला उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए महसूस की जा रही है ।

यही कारण है कि सोमवार को भाजपा के पन्ना प्रमुख से लेकर अन्य पदाधिकारी और पांचवें राउंड में स्वयं पटौदी के एमएलए तथा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता को भी एक बार फिर से ग्रामीण जन संपर्क अभियान में मधु सारवान की पहचान करवाने सहित उनके समर्थन में माहौल बनाने के लिए आना ही पड गय़ा है। जो मुख्य मुकाबला बताया जा रहा है या आका गया , वह मुख्य मुकाबला भी राजनीतिक परिवारों से जुड़े हुए महिला उम्मीदवारों के बीच में ही ग्रामीणों के कहे के मुताबिक कहा जा रहा है ।

इसी कड़ी में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा महिला उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा नेताओं के द्वारा, अन्य राजनीतिक परिवारों की महिला सदस्यों को लेकर जिस प्रकार की भाषा और शब्दावली का इस्तेमाल किया जा रहा है,

उसका भी ग्रामीणों में एक अलग प्रकार से रिएक्शन महसूस किया गया है । क्या कोई बेटी या कन्या किसी से पूछ कर किसी के घर में जन्म लेती है या फिर किसी की बेटी किस परिवार की पुत्र वधू बनेगी ? या किस परिवार में किस परिवार का बेटी का रिश्ता या संबंध होगा ? यह सब भाग्य पर निर्भर रहता है ।

वहीं चुनाव लड़ना मौलिक और संवैधानिक अधिकार है , फिर वह चाहे कोई महिला हो या पुरुष हो, किसी परिवार की बेटी हो बहू हो । एक राजनेता ने तो यहां तक मीडिया से बातचीत में कह दिया कि जब महिला आरक्षित वार्ड है तो सत्ता पक्ष के नेताओं को किसने रोका है कि वह अपने परिवार की महिलाओं को चुनाव नहीं लड़ना सकते ?

सत्ता पक्ष के एक नहीं अनेक उदाहरण हैं , जहां एक ही परिवार के सदस्यों को टिकट देकर चुनाव बड़वाने का सिलसिला बना हुआ है । फिर वह चाहे परिवार का सदस्य कोई पुरुष हो या फिर महिला ही क्यों ना हो । कुल मिलाकर अब देखना यह है कि मंगलवार को चंद्र ग्रहण के बाद होने वाले मतदान के उपरांत चुनाव परिणाम जब आएंगे।

तो इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव का जो भी प्रभाव होगा, वह किस महिला उम्मीदवार के चेहरे का नूर बनेगा या फिर किस पार्टी के उम्मीदवार के चेहरे पर बेनूर होगा ? इसके लिए चुनाव परिणाम घोषित होने तक इंतजार करने के अलावा अन्य कोई विकल्प भी सामने नहीं बचा हुआ है।

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