नई दिल्ली/राजकुमार अग्रवाल /अटल हिन्द
ये नया भारत है यहां अमृतकाल चल रहा है जिसके चलते भारत को चारों तरफ से लुटा जा रहा है संतरी से लेकर मंत्री तक सब अपने अपने तरीके से देश को लूट रहे है और जनता अंधभगत बनी तमाशा देख रही है खैर भारत सोने की चिड़िया है जितने लूट सकते हो लूट लो कोई फर्क नहीं पड़ता।
खैर अब बात करते है देश की न्याय वयवस्था की देश की जनता को भारतीय अदालतों पर न्याय मिलने की उम्मीद बनी रहती है बेशक न्याय मिलने तक पीड़ित भगवान को प्यारा क्यों ना हो जाए लेकिन उम्मीद फिर भी लगी रहती है की कभी ना कभी तो न्याय मिलेगा।
लेकिन नए भारत की बात कुछ और है यहाँ अब न्याय की उम्मीद लगाना गलत होगा क्योंकि कुछ लाख महीना तंखा लेने वाले जज साहब अरबों खरबों के मालिक बने हुए है यह खजाना कहाँ से और कैसे आता है यह किसी से छुपा नहीं लेकिन कोई आवाज नहीं उठाता भारत में जज बिक रहे है ,अदालती फैसले बिक रहे है, न्याय की उम्मीद में आम जनता मर रही है ,लेकिन जज साहब है की फैसला ही नहीं दे पाते क्योंकि उनके पास घरों के कमरों में रखा अनगिनत पैसा गिनने से ही फुरसत नहीं है यही नहीं कुछ जज साहब तो नए भारत में बीजेपी भगत होकर संसद भवन तक पहुँच गए जिनमे कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने इस्तीफा देकर पद छोड़ा और बीजेपी में शामिल हो गए. ये देश का पहला मामला नहीं है, जब किसी न्यायाधीश ने सियासी राह चुनी हो. उनसे पहले पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस हिदायतुल्ला, जस्टिस रंगनाथ मिश्रा भी सियासी दलों से जुड़ चुके हैं.इनके अलावा बहुत से ऐसे जज है जो सियासी रंगत में रंगे हुए शाही जिंदगी जी रहे है। अब जस्टिस यशवंत वर्मा को ही ले लीजिये इस=इनके पास आपार खजाना कहाँ से आया ईमानदारी की तन्खा से तो आदमी रोटी और परिवार का पालन पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाता है बाकी आप सब समझ ही गए होंगे की ऐसे जजों से न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है ?
जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma)का तबादला दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट किए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सख्त नाराजगी जाहिर की है. एसोसिएशन ने देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को चिट्ठी लिखकर कहा है कि हम कोई कूड़े का डिब्बा नहीं हैं और भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में हमें बर्दाश्त नहीं है. दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से करीब 15 करोड़ नकद बरामद होने की घटना सामने आई थी.
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास में आग लगने के बाद का वीडियो आ गया है. शनिवार देर रात, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट की आंतरिक जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया. इस रिपोर्ट में घटना से जुड़े वीडियो और तस्वीरें भी शामिल हैं, जिनमें कथित तौर पर जले हुए नोटों के बंडल देखे जा सकते हैं.दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय द्वारा सौंपी गई इस रिपोर्ट में कहा गया कि 15 मार्च की सुबह, जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा हटाया गया था. गार्ड के मुताबिक, वहां से अधजली अन्य चीजों के साथ जली हुई नकदी भी बरामद हुई. रिपोर्ट के अनुसार, “बंगले में रहने वाले लोग, घरेलू सहायक और सरकारी कर्मियों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति के वहां पहुंचने की संभावना नहीं दिखती.”
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस मामले की “गहन जांच की आवश्यकता है.” सुप्रीम कोर्ट के इस कदम के बाद अब मामला और गंभीर हो गया है. वीडियो फुटेज और रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद इस पूरे प्रकरण पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है.
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस वर्मा ने साफ तौर पर कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोर रूम में कोई नकदी नहीं रखी थी. उन्होंने कहा, “यह आरोप पूरी तरह से हास्यास्पद है.” रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मौके पर मौजूद पुलिस और फायर ब्रिगेड टीम को चार से पांच अधजली नोटों की गड्डियां मिली थीं
बता दें कि कुछ दिन पहले जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगी थी और इस दौरान पुलिस को भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। जिस समय ये नकदी बरामद हुई उस समय जस्टिस यशवंत वर्मा शहर में नहीं थे।
दिल्ली फायर सर्विस और दिल्ली पुलिस दोनों ही इस घटना को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. दिल्ली फायर सर्विस की रिपोर्ट में सिर्फ इतना लिखा गया कि आग “स्टेशनरी और घरेलू सामान” में लगी थी. दिल्ली फायर सर्विस के प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि उनकी टीम ने आग पर कुछ ही मिनटों में काबू पा लिया था. लेकिन जब उनसे जस्टिस वर्मा के आवास पर कैश मिलने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “इस बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है.”
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