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मनोहर सरकार के नौकरों (जनता के मालिक अफसरों )ने  माना तो सही की बैंक गरीबों को लोन नहीं देते

मनोहर सरकार के नौकरों (जनता के मालिक अफसरों )ने  माना तो सही की बैंक गरीबों को लोन नहीं देते ,
कैथल डीसी बोले  अधिकतर बैंक लाभार्थियों को ऋण देने में कर रहे हैं आनाकानी और टालमटोल :-  प्रदीप दहिया

कैथल, 11 मई (अटल हिन्द ब्यूरो   ) उपायुक्त प्रदीप दहिया ने कहा कि जिला स्थित अधिकतर बैंक लाभार्थियों को ऋण उपलब्ध करवाने में टालमटोल और आनाकानी कर रहे हैं। लाभार्थियों का मार्ग दर्शन करने की बजाए उनके आवेदन बिना तथ्यों के रिजेक्ट कर देते हैं, जोकि बैंकों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। बैंकों को चाहिए कि वे सरकार द्वारा चलाई गई स्कीमों के तहत ऋण लेने हेतु आवेदन करने वाले लाभार्थियों को मार्ग दर्शन करके उनको ऋण उपलब्ध करवाएं, ताकि वे अपना स्वयं का कारोबार स्थापित करके अपनी जीवन शैली को सरल और सुचारू बना सके। डीसी प्रदीप दहिया बुधवार को स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में बैंक अधिकारियों / कर्मचारियों की बैठक में किए गए कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
उपायुक्त प्रदीप दहिया ने बैंकों की कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कईयों को फटकार लगाते हुए कहा कि हमें अपने सेवा और कर्तव्य के लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए। सही समय पर सही काम करने से जहां एक और आत्म संतोष की अनुभूति तो होती ही है साथ ही लाभार्थियों को स्कीमों का समय पर लाभ मिल जाता है और लाभार्थी अपना स्वयं का कारोबार स्थापित करके आय में वृद्धि कर सकता है। उन्होंने सामाजिक परिवेश में झांकते हुए कहा कि छोटा ऋण लेने वाले अधिकतर गरीब होते हैं और कभी भी गरीबों की आह नहीं लेनी चाहिए। हमें अपने लक्ष्य को सही तरीके से पूरा करने की जरूरत है। जो बैंक अधिकारी अपने कार्य में आनाकानी करते हैं, उनकी कार्यशैली बारे मुख्यालय को अवगत करवा दिया जाएगा।

बैठक में उपायुक्त ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि जिन लाभार्थियों ने पशुधन खरीदने के लिए आवेदन किए हैं, उनकी रिपोर्ट सही समय पर बैंकों में सकारात्मक रूप से पहुंचाएं, ताकि संबंधित आवेदनकर्ता को लाभार्थी के रूप में लाभ मिल सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषय को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही कतई सहन नहीं की जाएगी। सरकार का मुख्य उद्देश्य गरीबों के सामाजिक और आर्थिक स्तर में सुधार लाना है और प्रशासन इस दिशा में अपने बेहतर प्रयास जारी किए हुए हैं। संबंधित विभाग और बैंक किसी भी प्रकार की लापरवाही के लिए स्वयं जिम्मेवार होंगे। बैठक में उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो बैंक मैनेजर और अधिकारी बैठक में उपस्थित नहीं हुए उनको कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंं। समीक्षा बैठक के दौरान पाया गया कि सबसे बुरा हाल एचडीएफसी और एक्सिस बैंक का है, जिन्होंने संदर्भित विषय को लेकर एक भी आवेदन सिरे नहीं चढ़ाया। उन्होंने कहा कि कुछ बैंक अदर ऑब्जैक्शन लगाकर आवेदनों को रिजेक्ट कर देते हैं। ये अदर ऑब्जेक्शन क्या है। इस बारे लाभार्थियों का मार्ग दर्शन अवश्य करें।
एलडीएम ने कहा कि एसबीआई हाबड़ी में 33 विषय थे, सभी को रिजेक्ट कर दिया गया। इस पर उपायुक्त ने कहा कि इस ब्रांच के कार्य की भी समीक्षा करने की जरूरत है। बैंक मार्ग दर्शन करने की बजाए आवेदनों को रिजेक्ट कर देते हैं, जोकि यह गंभीर मामला है। बैंकों अपनी कार्यशैली में तुरंत प्रभाव से सुधार करने की जरूरत है।
इस अवसर पर जिला परिषद के सीईओ सुरेश रवीश, डीएमसी कुलधीर सिंह, डीपीआरओ धर्मवीर सिंह, डीआईओ दीपक खुराना, डीएसडब्ल्यूओ कुलदीप शर्मा आदि संबंधित अधिकारी व बैंक अधिकारी मौजूद रहे।
बॉक्स:- एलडीएम सहित विभिन्न बैंकों के अधिकारियों की कार्यशैली से नाराज नजर आए उपायुक्त प्रदीप दहिया ने सीईओ जिला परिषद को निर्देश देते हुए कहा कि जिला स्थित सभी बैंकों का वो डाटा तैयार करें, जिससे यह पता चले कि मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत कितने बैंकों द्वारा कितने लाभार्थियों को अपना स्वयं का कारोबार स्थापित करने के लिए ऋण दिया है और कितने बैंकों ने आवेदन रिजेक्ट किए हैं।

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बाक्स:-गरीबों के सपनों को तोड़ रहे हैं कई बैंक : डीसी
गुहला चीका स्थित एसबीआई की ब्रांच ने इस आधार पर आवेदन रिजेक्ट कर दिया कि प्रार्थी की सेविंग खाता नही था। जब उपायुक्त ने ब्रांच प्रबंधक  को पूछा कि आपने आवेदन रिजेक्ट करने की बजाय प्रार्थी का खाता खुलवाकर ऋण देना चाहिए, ताकि गरीब व्यक्ति सरकार की योजनाओं के तहत ऋण लेकर अपना स्वयं का कारोबार स्थापित करके परिवार का पालन पोषण कर सकें और परिवार को अच्छी शिक्षा दे सकें। मैनेजर ने कहा कि मैंने फील्ड ऑफिसर की रिपोर्ट पर ऐसा किया है तो उपायुक्त ने कहा कि इसका मतलब यह है कि आप विषय को देखते ही नहीं है। गरीबों की मदद करनी चाहिए, ताकि परिवार का सामाजिक और आर्थिक उत्थान भी हो, लेकिन संबंधित बैंक ने प्रार्थी का मार्ग दर्शन करने की बजाए उसका आवेदन ही रद्द कर दिया, जो कतई ठीक नहीं है। सरकार और प्रशासन गरीबों के उत्थान के लिए कार्य कर रही है, लेकिन कुछ बैंक गरीबों के सपनों को तोड़ रहे हैं। ऐसे बैंकों ने अपनी कार्यशैली में सुधार नही किया तो सरकार को अवगत करवाया जाएगा।
बॉक्स: डीसी ने बैठक में फोन करने वाले टोका
जब समीक्षा बैठक चल रही थी, कुछ बैंक अधिकारी बीच-बीच में फोन कर रहे थे। इस विषय को लेकर डीसी प्रदीप दहिया सजग और सतर्क नजर आए। उन्होंने तुरंत प्रभाव से ऐसे अधिकारियों को टोकते हुए कहा कि बैठक में अपना फोन बंद या साइलेंट मोड पर करके बैठे। बीच-बीच में फोन करने से बैठक की कार्रवाई प्रभावित होती है। यदि अति आवश्यक कॉल है तो बाहर जाकर सुनी जाए।
बॉक्स:  बैंकों से निकलते समय लाभार्थी परेशान नहीं, बल्कि  खुश नजर आने चाहिए :- डीसी प्रदीप दहिया
बैठक में समीक्षा के दौरान पाया गया कि एचडीएफसी बैंक को 155 आवेदन विभिन्न विभागों द्वारा भेजे गए, जिनमें से एचडीएफसी बैंक ने एक भी आवेदन स्वीकृत नही किया, जबकि दो को उन्होंने रिजैक्ट करके 153 को पेंडिंग दिखा दिया। इसी प्रकार एक्सिस बैंक के पास 132 आवेदन आए, जिनमें से एक्सिस बैंक ने एक भी आवेदन स्वीकृत नही किया, जबकि 40 को रिजेक्ट करके 92 को पेंडिंग दिखा दिया। इस कार्य शैली को देखकर उपायुक्त काफी नाराज नजर आए। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के तहत लाभार्थियों को लाभ दिया जाना है और बैंकों की कार्यशैली से संबंधित लाभार्थियों को लाभ नहीं मिलने के कारण वे परेशान हो रहे हैं। हमें उनकी मदद के लिए आगे आकर कार्य करने की जरूरत है नाकि टालमटोल और आनाकानी करने की। उन्होंने यह भी कहा कि लाभार्थी बैंकों से निकलते समय खुश नजर आने चाहिए, नाकि परेशान।
बॉक्स: समीक्षा बैठक के दौरान पाया गया कि पंजाब नेशनल बैंक के पास ऋण स्वीकृति हेतू 1158 आवेदन आए, जिनमें से 174 स्वीकृत हुए और केवल 16 को ही ऋण दिया गया। पीएनबी बैंक द्वारा 881 को रिजेक्ट कर दिया और 103 को पेंडिंग दिखाया गया। इस पर भी डीसी काफी नाराज दिखे। उन्होंने एलडीएम को कहा कि 881 को किस आधार पर रिजेक्ट किया गया। इसकी रिपोर्ट उपायुक्त कार्यालय को भेजी जाए और अभी तक 103 को पेंडिंग दिखाया गया है, उनको किस आधार पर पेंटिंग दिखाया गया है, यह भी बताया जाए।
बॉक्स: आईसीआईसीआई बैंक में 47 और इंडियन ओवरसीज बैंक में 14 आवेदन आए, जिनमें से भी एक भी स्वीकृत नही किया गया और किसी को भी ऋण नहीं दिया गया। इन बैंकों में से 3-3 फार्म रिजेक्ट कर दिए। इसी प्रकार इंडसइंड बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक  में 14-14 आवेदन आए। इन बैंकों ने संबंधित विषय को लेकर कोई भी आवेदन स्वीकृत नहीं किया। इसी प्रकार यश बैंक में तीन प्रार्थना पत्र आए, जिनमें से 2 को रिजेक्ट कर दिया गया। एक को पेंडिंग दिखाया गया। इसी प्रकार डीसीबी बैंक लिमिटेड में एक आवेदन आया, उसे ही पेंडिंग दिखा दिया गया।
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