नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने बयानों और कार्यों से घृणित ग़ैरक़ानूनी सामूहिक प्रतिशोध की आग को और भड़काया’
नरेंद्र मोदी सरकार ने इस तरह के घृणित ग़ैरक़ानूनी सामूहिक प्रतिशोध को रोकने और दंडित करने के बजाय, अपने बयानों और कार्यों से आग को और भड़काया.
प्रधानमंत्री ने खुद इस सार्वजनिक मनोदशा का स्वर निर्धारित किया जब बिहार, जहां इसी साल चुनाव होने हैं, के मधुबनी में हमलों के ठीक एक दिन बाद एक भाषण में उन्होंने अचानक अंग्रेज़ी में यह सार्वजनिक चेतावनी जारी की. ‘आज, बिहार की धरती से मैं पूरी दुनिया को कहना चाहता हूं कि भारत हर आतंकवादी, समर्थक और साजिशकर्ता की पहचान करेगा, उसका पता लगाएगा और उसे दंडित करेगा. हम उन्हें धरती के किसी कोने से खोज निकालेंगे. उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी उन्होंने जिसकी कल्पना भी नहीं की होगी.’ उन्होंने कहा कि अपराधियों को ‘भारत की जोरदार प्रतिक्रिया’ का सामना करना पड़ेगा.The Narendra Modi government, by its statements and actions, has further fuelled the flames of despicable, unlawful, collective vengeance
अधिकारियों ने घातक पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में आतंकवादियों और उनके समर्थकों पर बड़ी कार्रवाई की सूचना दी. अधिकारियों ने कहा कि ‘आतंकवादियों के घर ध्वस्त कर दिए गए, उनके ठिकानों पर छापे मारे गए और सैकड़ों लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया.’
जम्मू-कश्मीर में राज्य प्रशासन ने कश्मीर घाटी के 10 जिलों में से 6 में कम-से-कम 10 रिहायशी घरों को ध्वस्त कर दिया. उनका दावा है कि ये स्थानीय आतंकवादियों के घर थे. घरों को ध्वस्त किए जाने के अलावा घाटी भर में छापेमारी में सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया. श्रीनगर से 31 किलोमीटर दूर पुलवामा जिले के मुर्रान गांव के निवासी इम्तियाज ने घर को ढाए जाने की एक घटना के बारे में बताया. ‘हमें पवित्र पुस्तकों और ज़ेवर को बाहर निकालने और स्थानीय मस्जिद में इकट्ठा होने के लिए कहा गया. कुछ ही मिनटों में, दो ज़ोरदार धमाके सुनाई दिए, और हमें एहसास हुआ कि घरों को विस्फोट से उड़ा दिया गया है.’ पड़ोस के कई घरों में दरारें आ गई.
असमत जान ने पूछा कि लोग सिर्फ़ इसलिए क्यों परेशान हों कि वे संदिग्ध आतंकवादी के घर के नजदीक रहते हैं. उन्होंने द क्विंट से कहा, ‘हम मुश्किल से अपना गुजारा करते हैं और एक छोटा सा घर बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जो घर पास के घर को विस्फोट से उड़ाए जाने की वजह से क्षतिग्रस्त हो गया है. खिड़कियां टूट गई हैं, और हमें उन्हें प्लास्टिक से ढकना पड़ा है.’
पांच संदिग्ध आतंकवादियों में से एक, आसिफ़ शेख़, की बहन यास्मीना ने पत्रकारों से कहा, ‘अगर मेरा भाई पहलगाम हमले में शामिल भी था, तो हमारे परिवार का इससे क्या लेना-देना है? हमारे माता-पिता को उस गलती की सजा क्यों दी जा रही है जो उन्होंने की ही नहीं है?’
मार्क्सवादी नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने सही कहा, ‘क़ानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना किसी के घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता. आश्रय का अधिकार मौलिक अधिकार है, और ग़ैरक़ानूनी कृत्यों का जवाब ग़ैरक़ानूनी प्रतिक्रियाओं से नहीं दिया जा सकता. आतंकवाद का मुकाबला उचित प्रक्रिया और कानून के शासन के जरिए किया जाना चाहिए, न कि बल का अनुचित प्रयोग करके.’
वकील वृंदा ग्रोवर ने सहमति जताते हुए कहा, ‘यदि किसी घर में आतंकवादियों, हथियारों या आतंकवाद से जुड़ी किसी भी तरह की सक्रिय उपस्थिति नहीं है, तो बिना उचित प्रक्रिया के किया गया विध्वंस अवैध है’ और यह सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों का उल्लंघन है.
भोजपुरी लोक गायिका और व्यंग्यकार नेहा सिंह राठौर पर पहलगाम हमले के बारे में केंद्र सरकार की आलोचना करने वाले उनके पोस्ट के लिए देशद्रोह और सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया. उन्होंने ‘सुरक्षा चूक और आतंकी हमलों का राजनीतिकरण’ करने का आरोप लगाया. राठौर ने लिखा, ‘आतंकवादी हमले सरकार की विफलताएं हैं और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. सरकार पर सवाल उठाने को देशद्रोह नहीं समझा जाना चाहिए.’
पहलगाम हत्याओं के बारे में उनके सोशल मीडिया पोस्ट के लिए उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.

सामूहिक दंड के इन रूपों का विरोध करने वाली अंतरात्मा की आवाज़ों को भी दंडित किया गया. इनमें से एक डॉ. मदरा काकोटी (उर्फ़ मेडुसा) हैं जो लखनऊ विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाती हैं और एक लोकप्रिय ऑनलाइन व्यंग्यकार हैं. उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को मारने से पहले उसका धर्म पूछना वास्तव में आतंकवाद का एक रूप है.
उन्होंने उसी वीडियो में आगे कहा, ऐसे अन्य कार्य भी हैं जो किसी व्यक्ति की धार्मिक पहचान जानने के बाद उसे निशाना बनाकर किया जाता है, जैसे कि भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करना, नौकरी से निकालना, कुछ समुदायों को आवास देने से मना करना और घरों को निशाना बनाकर ध्वस्त करना. भाजपा की छात्र शाखा से जुड़े छात्रों ने उनके पोस्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस ने उन पर देशद्रोह, दुश्मनी को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सार्वजनिक शांति भंग करने और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.
श्रीनगर के सांसद आग़ा सैयद रूहुल्लाह मेहंदी ने दुखी होकर डॉ. काकोटी द्वारा की गई आलोचना को दोहराया. उन्होंने द क्विंट से कहा, ‘अगर आतंकवाद का कोई धर्म है, तो क्या राजस्थान में ट्रेन में तीन मुसलमानों की हत्या करने वाला रेलवे कांस्टेबल आतंकवादी नहीं है? या फिर वे लोग जो भीड़ द्वारा की जाने वाली हत्या में शामिल हैं. हम उस पागल आदमी की हरकत के लिए पूरी हिंदू आबादी को एक ही नजरिए से नहीं देखते हैं, उन पागल लोगों की हरकत के लिए लिए भी पूरे हिंदू समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराते जिन्होंने मुसलमानों की हत्या की. और हमारे पास इसके कई उदाहरण हैं. और हम इन जानवरों (आतंकवादियों) के कृत्यों के लिए मुसलमानों को एक ही नजरिए से नहीं देखते हैं.’
पहलगाम हमले के बाद भारतीय राज्य की तलवार कश्मीर में विवाहित पाकिस्तानी महिलाओं और उनके बच्चों पर भी क्रूरता से गिरी. इन 60 महिलाओं में से अधिकांश की शादी पूर्व कश्मीरी आतंकवादियों से हुई थी, और वे पूर्व आतंकवादियों के लिए 2010 की पुनर्वास नीति के तहत वैध रूप से कश्मीर में दाखिल हुई थी. उन्हें उनके बच्चों के साथ बसों से श्रीनगर, बारामुला, कुपवाड़ा, बडगाम और शोपियां ज़िलों से वाघा सीमा पर लाया गया और पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया गया. अचानक ये परिवार टूट गए.
इनमें से एक 33 वर्षीय ज़ाहिदा बेगम थीं जो बांदीपुरा ज़िले के सीमावर्ती शहर गुंडे पोरा में रहती थीं. उन्होंने 15 साल पहले पूर्व आतंकवादी बशीर अहमद नज़र से शादी की थी. ज़ाहिदा ने घर के लिए एक छोटा सा शेड बनाया, तीन बच्चे हुए और दिहाड़ी मजदूरी करके अपना गुजारा चलाया. लेकिन ज़ाहिदा संतुष्ट थीं और कहती थीं कि भारत में उनकी ज़िंदगी ‘सुकूनभरी’ था. उन्होंने कहा, ‘सेना ने कभी हमारी तलाशी नहीं ली, किसी ने हमसे कभी पूछताछ नहीं की. मैं शांति से रह रही थी.’ उनकी दो बेटियां मरियम और आमिना बड़ी होकर आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं. लेकिन अब निर्वासन का सामना करने पर उनका कहना है कि उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है.
वह विनती करती हैं, ‘मुझे मार दो . मेरे बच्चों को मार दो. हमें सीमा पार फेंक दो. लेकिन मुझे मेरे पति से अलग मत करो.’