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दुष्यंत चौटाला टशन में, अभय चौटाला टेंशन में

दुष्यंत चौटाला “टशन” में, अभय चौटाला “टेंशन” में
चौटाला परिवार की सियासत में इस बार नहीं कोई टर्निंग प्वाइंट
देवीलाल जयंती पर कल जेजेपी और इनेलो की अलग-अलग रणनीति
जेजेपी कैथल व दादरी में देवीलाल की प्रतिमाएं लगाकर अपनी पैठ का कर रही विस्तार
इनेलो फतेहाबाद में रैली करके सियासी वापसी की कर रही उम्मीद

दुष्यंत चौटाला "टशन" में, अभय चौटाला "टेंशन" में
दुष्यंत चौटाला “टशन” में, अभय चौटाला “टेंशन” में

-अटल हिन्द ब्यूरो –
चंडीगढ़। जननायक चौधरी देवीलाल की जयंती चौटाला परिवार की सियासत के लिए हर बार टर्निंग प्वाइंट लेकर आते रहे हैं।
2018 में देवीलाल जयंती पर गोहाना से शुरू हुई चौटाला परिवार की “महाभारत” 5 साल में पूरी तरह से बदल गई है।
2018 में जहां पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला व अभय चौटाला का इनेलो के जरिए परिवार और सियासत दोनों जगह दबदबा था वहीं अब 2022 में उनकी जगह दुष्यंत चौटाला ने ले ली है।
2019 में जननायक जनता पार्टी बनाकर सत्ता की हिस्सेदारी लेकर दुष्यंत चौटाला जन नायक चौधरी देवी लाल की सियासी विरासत के पहले उत्तराधिकारी बन गए हैं। दूसरी तरफ अभय चौटाला 19 विधायकों से लुढककर अकेले सेनापति रह गए हैं।
देवीलाल जयंती को लेकर चौटाला परिवार की दोनों पार्टियां अलग अलग रणनीति पर उतरी हैं।
जहां एक तरफ ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला की अगुवाई में इनेलो परंपरागत तरीके से फतेहाबाद में रैली कर कर रही है तो दूसरी तरफ अजय सिंह चौटाला व दुष्यंत चौटाला की अगुवाई में जेजेपी को मजबूत करने की प्लानिंग को अमलीजामा पहना रहे हैं….

दुष्यंत चौटाला नई परिपाटी पर कर रहे काम
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने देवीलाल जयंती पर बड़ा शक्ति प्रदर्शन करने की बजाय उनकी सोच का विस्तार करने को प्राथमिकता दी।
दुष्यंत चौटाला कल जहां कैथल और दादरी में जन नायक चौधरी देवी लाल की प्रतिमाओं का लोकार्पण करेंगे वहीं दूसरी तरफ महेंद्रगढ़ जिले में आधुनिक लाइब्रेरी का उद्घाटन करेंगे।
जेजेपी चौधरी देवीलाल की जयंती पर पूरे प्रदेश में 108 आधुनिक लाइब्रेरी खोलने का ऐलान कर चुकी है । दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला देवीलाल जयंती पर पार्टी संगठन को मजबूत करने के अभियान में जुट गए हैं। दोनों ही भाइयों ने पार्टी के अलग-अलग संगठनों की मीटिंग लेने के अलावा जनसंपर्क अभियान चलाकर पार्टी को एक्टिव मोड में ला खड़ा किया है। कैथल और दादरी दोनों ही जगह देवीलाल जयंती पर वर्करों की भारी संख्या के जरिए दुष्यंत चौटाला जेजेपी की मजबूती साबित करने का काम करेंगे।

अभय चौटाला शक्ति प्रदर्शन के जरिए वापसी का करेंगे प्रयास
परिवार की सियासत के बंटवारे के बाद लगातार गर्दिश में चल रही इनेलो को पुराने दौर में लाने के लिए अभय चौटाला भरसक प्रयास कर रहे हैं।
87 साल की उम्र में ओम प्रकाश चौटाला भी पूरी सक्रियता के साथ इनेलो की मजबूत की कोशिशों में लगे हुए हैं।
दोनों 18 साल बाद फतेहाबाद में बड़ी रैली के जरिए इनेलो की मजबूत वापसी की उम्मीद कर रहे हैं।
इनेलो पुराने दौर की तरह जोरदार रैलियां करने में तो अब सक्षम नहीं है लेकिन प्रभावशाली हाजिरी के जरिए अभय चौटाला यह संदेश देने का प्रयास करेंगे कि इनेलो खात्मे की दहलीज से वापसी की डगर पर वापस लौट रही है।
बात यह है कि चौटाला परिवार के दोनों ही पार्टियां अलग-अलग दौर से गुजर रही हैं।
दुष्यंत चौटाला की अगुवाई में जननायक जनता पार्टी चौधरी देवीलाल की सियासी विरासत की मजबूत हकदार बन चुकी है । सत्ता में हिस्सेदारी हासिल करके दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री के तौर पर बड़ा सियासी रसूख हासिल कर गए हैं। वे बखूबी जानते हैं कि इस समय उनके लिए देवीलाल जयंती पर पड़ा शक्ति प्रदर्शन करना जरूरी नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश में जेजेपी के संगठन को मजबूत करना ज्यादा अहम कार्य है। इसीलिए पिछले 10 दिन के दौरान दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला दो दर्जन कार्यक्रमों वे बैठकों का आयोजन करके जेजेपी के संगठन को नई धार देने का काम अंजाम दे चुके हैं।
इनेलो के लिए फतेहाबाद रैली बड़े मायने रखती है। यह सभी जानते हैं कि इनेलो बेहद खराब दौर में चल रही है।
पहले की तरह इनेलो को सत्ता की दावेदार बनाने के रास्ते में अभय चौटाला के सामने पहाड़ जैसी चुनौतियां हैं। फतेहाबाद में इनेलो रैली में आने वाली भीड़ यह तय करेगी कि अभय चौटाला की अगुवाई में इनेलो की सियासत में कुछ बेहतरी की गुंजाइश बची हुई है या नहीं। अगर इनेलो की रैली में 10-12 हजार लोग भी आ गए तो वह अभय चौटाला के लिए राहत की सांस होगी क्योंकि खराब हालात में इतनी भीड़ जुटाना भी बड़ी सफलता मानी जाएगी। अभय चौटाला इनेलो की रैली में कुछ दूसरी पार्टियों के बड़े नेताओं को बुलाकर इनेलो के ग्राफ को उठाने का प्रयास करेंगे।
इस बार 25 सितंबर पर चौटाला परिवार की पार्टियों के कार्यक्रमों से प्रदेश की सियासत पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।
दुष्यंत चौटाला अभय चौटाला के चुनौतियां को दरकिनार करते हुए जेजेपी की मजबूती में लगे हुए हैं तो दूसरी तरफ अभय चौटाला के लिए 25 सितंबर के रैली को कामयाब करना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
सच्चाई है कि इस बार देवीलाल जयंती पर जहां दुष्यंत चौटाला पूरे “टशन” में नजर आ रहे हैं वहीं रैली की कामयाबी को लेकर अभय चौटाला “टेंशन” में दिख रहे हैं।

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