सिस्टम के चक्रव्यूह में शौर्य चक्र विजेता सीआरपीएफ सहायक कमांडेंट जिले सिंह
कमांडेंट जिले सिंह खतरनाक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के लिए यमराज से कम नहीं
सहायक कमांडेंट जिले सिंह ने जैश ए मोहम्मद के तीन आतंकी किए ढेर
पुलवामा सेक्टर में सीआरपीएफ कैंप पर 2017 में हुआ था आतंकी हमला
कमांडो सहायक कमांडेंट जिले सिंह ने अपने 12 साथियों की बचाई थी जान
जांबाज जिले सिंह को 19 मार्च 2019 में राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र सम्मान
शौर्य चक्र विजेता को मिलने वाली समान राशि भुगतान में असमानता की पीड़ा
फतह सिंह उजाला
बोहड़ाकला / पटौदी । अहीरवाल इलाके में पटौदी विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा गांव बोहड़ाकला 1857 के शहीद ठाकुर अब्बू सिंह की जन्म और कर्म भूमि रहा है । पूर्व सेना अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री रहे वीके सिंह की यही गांव ननिहाल भी है तथा यहां से हरियाणा विधानसभा में दो-दो विधायक भी चुने जा चुके हैं । इस गांव की माटी ने एक से एक जांबाज योद्धा देश की रक्षा आजादी के आंदोलन और आतंकियों के खात्मे के लिए दिए हैं। इनमें ही एक नाम है सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट शौर्य चक्र विजेता जिले सिंह का। जिले सिंह मूल रूप से गांव बोहड़ाकला के ही रहने वाले हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के के द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित कमांडो सहायक कमांडेंट सीआरपीएफ जिले सिंह सम्मान प्राप्त करने के उपरांत सिस्टम के चक्रव्यूह में ही उलझते चले जा रहे हैं । यह उलझन और चक्रव्यूह है ,शौर्य चक्र विजेता को उपलब्ध करवाई जाने वाली 31 लख रुपए की समान राशि का । यहां बात पैसे की नहीं है , सबसे बड़ा मुद्दा और सवाल शौर्य चक्र विजेता को मिलने वाली अथवा भुगतान किया जाने वाली समान राशि में विसंगतियों को लेकर है। हरियाणा सरकार के द्वारा कथित रूप से इस संदर्भ में 31 लाख रुपए शौर्य चक्र विजेता को दिया जाने का प्रावधान बताया गया है। जबकि जांबाज जिले सिंह को 700000 ही उपलब्ध हो सके हैं । इस विषय में बुजुर्ग सेवा मेरा स्वाभिमान केयर फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ गौतम तंवर का कहना है कि शौर्य चक्र विजेता सेना या फिर अन्य किसी भी सुरक्षा बल या अर्धसैनिक बल से ही हो। जब आतंकी हमले में देश और दुनिया के खतरनाक आतंकवादियों को मार कर अपने साथियों को जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दे , ऐसे प्रत्येक देशभक्त युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने रहते हैं । संबंधित राज्य सरकारों के द्वारा घोषित की गई राशि बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध करवानी चाहिए । सूत्रों के मुताबिक सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट जिले सिंह के लिए 26 जनवरी 2019 को शौर्य चक्र प्रदान किया जाने की घोषणा की गई और 19 मार्च 2019 को राष्ट्रपति भवन में देश के प्रधानमंत्री गृहमंत्री सहित अन्य लोगों की मौजूदगी में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों जिले सिंह को शौर्य चक्र प्रदान किया गया।
जैश ए मोहम्मद के आतंकियों से 36 घंटे मुठभेड़
घटना वर्ष 2017 की है, उस वक्त सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट जिले सिंह अपनी यूनिट के साथ पुलवामा सेक्टर मैं ही देश की सेवा के लिए मौजूद रहे । इस दौरान अचानक से देश और दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन के द्वारा सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर दिया गया। जिस स्थान पर और जिस हालत में यह हमला किया गया, उसको देखते हुए ऑपरेशन की कामयाबी मात्र एक प्रतिशत तक ही बताई जाती है। लेकिन कमांडो ट्रेनिंग लिए हुए सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट जिले सिंह ने अपनी सूझबूझ और जिगरे का परिचय देते हुए 36 घंटे तक आमने-सामने के मुकाबले में तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा। इतना ही नहीं अपने ही सीआरपीएफ के 12 साथियों की जान बचाने का कारनामा भी अंजाम दिया। जिस हालत में यह आतंकी हमला नाकाम करते हुए आतंकियों को ढेर किया गया, उसकी देशभर में एक मिसाल बनी हुई है । इतना ही नहीं एक अन्य आतंकी संगठन के बेहद खतरनाक बताई जाने वाले आतंकवादी को मौत के घाट उतारने में भी जिले सिंह की सक्रिय भूमिका रही। इस ऑपरेशन में जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान भी शामिल रहे।
सिस्टम के चक्रव्यूह की व्यूह रचना बनी पहेली
सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट जिले सिंह हरियाणा के पहले शौर्य चक्र विजेता अथवा प्राप्त करने वाले हैं । यह उपलब्धि मेजबान गांव बोहराकला, पटौदी, जिला गुरुग्राम, हरियाणा प्रदेश के लिए बेहद गर्व और गौरव का विषय बना हुआ है। लेकिन सिस्टम ही ऐसा है कि इसके चक्रव्यूह के चक्रव्यूह को तोड़ना आसान काम नहीं। सीआरपीएफ के शौर्य चक्र विजेता सहायक कमांडेंट जिले सिंह को घोषित पूरी समान राशि उपलब्ध करवाई जाने के लिए सीआरपीएफ की तरफ से ही हरियाणा सरकार को भी अनुरोध पत्र भेजने के साथ-साथ रिमाइंडर भी भेजे जा चुके हैं । अपने ही क्षेत्र के चुने हुए विधायक और सांसद जो कि केंद्र में मंत्री है उनके संज्ञान में भी यह मामला लाया जा चुका है। शौर्य चक्र विजेता के रूप में जिले सिंह के द्वारा पैतृक गांव आगमन पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह विशेष रूप से पहुंचे उनके द्वारा भी आश्वासन दिया गया । इस विषय में शौर्य चक्र विजेता सहायक कमांडेंट जिले सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा यह पूरा मामला पॉलिसी मैटर का है । पॉलिसी बनाई गई है तो उसके मुताबिक सम्मान भी मिलना चाहिए। बिना किसी भेदभाव के पॉलिसी के मुताबिक सम्मान मिलेगा तो सवाल भी नहीं उठाए जाएंगे।
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